इतना विरोध होते हुए भी मोदी सरकार किसान बिल वापस क्यों नहीं ले रही है तू दिखे इसका तो खुलकर भी मोदी सरकार कुछ इसके बारे में कह भी नहीं रहे न कोई बातें लीक हुई है और जहां तक बात है अभी बिल के बारे में तो 4 तारीख को किसान यूनियन और मोदी सरकार की तरफ से एक बैठक की जाएगी जिसमें निर्णय होगा और 4 जनवरी को ही फाइनल होगा कि क्या किसान क्या अपना आंदोलन खत्म करेंगे या सरकार क्या चाहती है तू शायद 4 तारीख को कुछ अच्छा रिजल्ट आया और जहां तक वीर वापस की बात है तो कहीं न कहीं सरकार इसे जबरदस्ती किसानों को थोपना चाहती है जो किसान अपने ऊपर से मनीष कानून को लेने से इंकार कर रहे हैं तो आने वाले 4 तारीख को कुछ डिसाइड हुआ जो हम आपको रूबरू करा देंगे
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मोदी सरकार एक ऐसी सरकार है जो पूरे आंदोलन का मतलब कर लेने के बाद उसको उसका निचोड़ निकाल दिए अब जब यह पूरे थक जाएंगे आंदोलन करता हूं तो इसका बहुत छोटा तोड़ निकाल लेंगे अभी तक सरकार ने स्पष्ट नहीं किया कि कानून क्या है कानून में क्या कमी है लेकिन अंत में वह सब कुछ कर देंगे और जो हीरो दिया वह अचानक और कैसे हो जाएगी यह क्या हो गया हम तो विरोध करेंगे समर्थन करना पड़ता है वह सब प्लानिंग चल रही है और वह अंदर ही अंदर चलते हैं हम जैसे लोगों तक नहीं पहुंचते धन्यवाद
विरोध का नहीं हो रहा 1 तरीके से देश का विरोध हो रहा है यह बिल का विरोध नहीं है क्योंकि आप अगर जैसे मोबाइल से अगर ऐसे चला रहे हैं आपको तो मोबाइल के ऊपर भी सोशल मीडिया पर भी एक्टिव होंगे आप देखिए कि वह सब लोग जिन्होंने भी का समर्थन किया था आज वह बिल का विरोध कर रहे हैं वही बना है उसमें कोई चेंज नहीं है कुछ बातों पर बन रही है कुछ भी नहीं बन रही है परंतु बिल वापस इतने नहीं हो रहा है क्योंकि एक एक्सपेरिमेंट हो रहा है पूरे देश का कि हम कैसे आने वाले ब्लॉक को भी जैसे आपकी यह चालू हो जाएगा एनआरसी चालू होगा तो हम कैसे दंगा करके थोड़ा को को घर के अंदर वापस करवा सकते हैं और यह बिल पे किसी भी ऐसा नहीं है बहुत सारी बातें हैं जिसके विषय में बात की जा सकती है बात करके समझ सका लोगों की भीड़ बातें मन से समझ
आपका सवाल है कि इतना विरोध होने के बावजूद सरकार इस बिल को वापस क्यों नहीं ले रही है मैं बता दो कि इस बिल में सरकार को ही फायदा है किसानों को कोई फायदा होने वाला नहीं है इसीलिए सरकार इस बिल को वापस नहीं ले रही है क्योंकि इस बिल को वापस ले लेने से सरकार को घाटा होगा सरकार को इसे बहुत बड़ा खड़ा हुआ है इसलिए वह इस बिल को वापस नहीं करना चाहती है बस उस किसानों का आय बढ़ाने की दुगुना करने के वादे के साथ किसकी सरकार यहां पर आई थी आज किसानों को नीचा दिखाने का काम कर रहे हैं
पहले सवाल तो दिखती है उसके बाद विस्तारपूर्वक आपका जवाब देंगे किसी ने पूछा है जितना विरोध होते हुए भी मूवी सरदार किशन बिल वापस क्यों नहीं ले रही है किसी ने पूछा है कि इतना गुरुर होते हुए भी मूवी शनिवार किसान बिल वापस क्यों नहीं हो रही है भाई अपनी अपनी सरकार है मोदी का मत है मोदी क्या चाहते हैं पता नहीं क्या उनके मन में चल रहा है कि यह इतना विरोध हो रहा है यह बिल पारित करने में इतनी दिक्कत हो रही है तो यह अपने फोन पर जब आप क्यों नहीं लेती यह दवाई मूवी जाने हम तुम क्या जाने जहां तक है यह वापस लेना चाहिए मेरे ख्याल से जो किसानों की समस्याओं को सुनना चाहिए और समाधान करना चाहिए हमारे देश के जवान है हमारी किसान लोग तो मेहनत से लूट का मंदिर
Programme Coordinator at National Institute of Electronics & Information Technology (NIELIT)
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प्रश्न इतना विरोध होते हुए भी मोदी सरकार किसान दिन वापस क्यों नहीं ले रही है तो आपको बता दें देखे यहां पर जो गवर्नमेंट है उसको ही पता है अगर वह 1 दिन वापस ले लेगी तो इस तरह से आकर एक ट्रेन चल पड़ेगा कि जो भी बिल्कुल रहेगी और किसी को अगर उससे दिक्कत है तो वह सड़कों पर उतरेंगे लोग उसके बाद गवर्नमेंट पर दबाव बना रहेगा कि बिल वापस नहीं इस तरह की चीजें फिर आगे अटेंड करने लगेंगी और किए कहीं से भी एक सोच लोकतंत्र की निशानी नहीं है आप ही कह रहे थे बारे में कमेंट सेक्शन अपनी राय जरूर करें मैं शुभकामनाएं आपके साथ हैं धन्यवाद
साहित्यकार, समीक्षक, संपादक पूर्व अधिकारी विजिलेंस
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आप जानते हैं कि हमारे पास बहुमत है हमारे पास शक्ति है हमारे पास पुलिस है मिलिट्री है सीआईडी है इलेक्शन कमीशन है सारी शक्तियां हमारे साथ हैं तो जितना ही लोग करेजवा में तानाशाही करनी है तो उन तानाशाही करेंगे पूंजी पतियों के चेहरा बने हुए हैं किसानों के पक्ष की कोई बात नहीं हो रही है किसानों को समझा नहीं पा रहे हैं तो जब किसी को किसी बिल के बारे में जो भी लाभ ने जनता के हित के लिए बनाया है और उसके हित की बातों को आप प्रस्तुत नहीं कर पा रहे हैं उसे प्रूफ नहीं कर पा रहे हैं तो जनता क्यों मरने लगी धीरे-धीरे स्थिति यहां तक हो गई आज 40 दिन करीब हड़ताल के ज्यादा के हो रहे हैं लेकिन अभी तक इस निर्णय पर पहुंचना यह सरकार की उदासीनता का ही परिचायक है किसान तो परेशान हो ही रहे हैं जनता भी आजकल काफी चिंतित लग रहे हैं