नमस्कार मैं हूं योगी प्रशांत नाथ और बात करें स्वर और व्यंजन की तो स्वर जैसे की हमारे आहार्य मतलब जो मात्राएं होती है उन्हें स्वर्ग आ जाता और व्यंजन की बात करें वही का खा गा घा यह सारे व्यंजन में आते ज्ञा तक सो स्वर और व्यंजन को मिलाकर ही हम किसी भी शब्द की रचना कर सकते हैं उससे बात करने के लिए जिन चीजों का हमें प्रयोग किया जाता है उनमें स्वर और व्यंजन को मिलाया हुआ होता है क्योंकि हर एक मात्रा हर एक के सकते हैं कि अक्षर को मिलाने के बाद ही एक शब्द का निर्माण होता है आशा करता हूं यह पोस्ट आप सभी श्रोताओं के लिए काफी ज्यादा हेल्प लो इंफॉर्मेशन से रिलेटेड हो