हेलो ब्रदर हेलो पर सब ठीक हो गई द्विवेदी युग का नामकरण किस नाम पर रखा गया है यह प्रश्न पूछा गया दिखे द्विवेदी युग हिंदी साहित्य के भारतेंदु युग के बाद का समय है उसके ऊपर का नाम जहां महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम से रखा गया महावीर प्रसाद द्विवेदी कैसे साहित्यकार थे जो महोबा के होने के साथ साहित्य के इतर विषयों के सम्मान के चलते थे उन्होंने सरस्वती का 18 बच्चों की हिंदी पत्रिका पत्रिका में महान कितना स्थापित किया वे हिंदी के पहले व्यवस्थित समायोजन आलोचक थे जिन्हें स्माल उचित की गई पुस्तक लिखी थी वह खड़ी बोली हिंदी कविता से पंडित महत्वपूर्ण कवि थे आधुनिक हिंदी कहानी उन्हीं प्रश्नों के साहित्य विधा के रूप में मान्यता प्राप्त कर सकी थी विभाग शास्त्री से अनुवादक दे इतिहास इतिहास MP3 अर्थशास्त्री में विज्ञान में रुचि रखने वाले थे अंतर वाले साहित्यकार थे दूसरे शब्दों में से युग निर्माता थे अपने चिंतन और लेखन के हिंदी प्रदेश में नवजागरण कार्य करने वाले पहले साहित्यकार थे आशा करता हूं आपको जानकारी मिल के लिए लाइक और सब्सक्राइब करें धन्यवाद
दिवेदी युग का नामकरण किन के आधार पर किया गया है इसका है यह कुछ प्रश्न जो है पूर्णतया से आपने पूछा टेली फिर भी में दिवेदी युग का नामकरण बताना चाहूंगा इनका नामकरण क्यों है महावीर प्रसाद द्विवेदी जी के नाम पर रखा गया लेकिन जीवित बहुत विस्तृत हिंदी साहित्य में भारतेंदु युग के बाद का समय है इसका नाम महावीर प्रसाद द्विवेदी जी के नाम पर रखा गया है महावीर प्रसाद द्विवेदी कैसे साहित्यकार थे जो बहुभाषी होने के साथ ही टाइट की विभिन्न विषयों में भी समान रुचि रखते थे उन्होंने 18 वर्षों तक संपादन कर हिंदी पत्रकारिता में एक महान कीर्तिमान स्थापित किया था हिंदी के पहले विवक्षित समालोचक थे जिन्होंने समालोचना की कई पुस्तकें लिखी थी पर खड़ी बोली हिंदी की कविता के प्रारंभिक और मैतपुर सभी के हिंदी कहानी उन्हीं की प्रति उत्साहित विद्या के रूप में मान्यता प्राप्त कर सकती थी भाषा साहित्य के इतिहास के ज्ञाता के अर्थशास्त्री के विज्ञान में भी गहरी रुचि रखने वाले थे युगांतर लाने वाले साहित्यकार थे क्या दूसरे शब्दों में कहें तो वह युग निर्माता के विभिन्न चिंतन और लेखन के द्वारा हिंदी प्रवेश में नवजागरण पैदा करने वाले साहित्यकार थे महावीर प्रसाद द्विवेदी हिंदी की साइट का सेटिंग को आचार्य की उपाधि मिली थी इसकी संस्कृत में आचार्य की परंपरा की वर्षगांठ पर बनारस में बड़ा साहित्यिक आयोजन कर जीवीजी जी का अभिनंदन किया था उनकी सम्मान में द्विवेदी अभिनंदन ग्रंथ का प्रकाश शंकर उन्हें समर्पित किया गया था आवेदन नाम से प्रकाशित आचार की पत्नी मिली है क्यों मिली है मालूम नहीं कब किसने दी यह भी मुझे मालूम नहीं मालूम नहीं है कि मैं बहुत इस पदवी से विभूषित किया जाता है शंकराचार्य आचार्य संख्या चार आदि की प्रकृति आचार्य की चरण की बराबरी भी मैं नहीं कर सकता बनारस की संस्कृत काली जैकेट विश्वविद्यालय में भी मैंने एक कदम नहीं रखा फिर भी का मुफ्त हक में कैसे हो गया महावीर प्रसाद द्विवेदी ने मैट्रिक तक की पढ़ाई की तत्पश्चात में रेलवे में नौकरी करने लगे थे उसी समय इन्होंने अपने लिए सिद्धांत निश्चित किए वक्त की पाबंदी करना व्यर्थ ना लेना अपना काम इमानदारी से ज्ञान वृद्धि के लिए सतत प्रयास करते रहना गिरी जी ने लिखा है कि पहले 3 सिद्धांतों के अनुकूल आचरण करना तो चैट स्टार्ट तो ठीक है ना कुछ तकलीफ है ना कटा फिर भी सतत अभ्यास से उसमें उन्होंने उन्हें सफलता मिली टिकट बाबू स्टेशन मास्टर की पटिया बिछाने उनकी तरक्की निगरानी करने वाली प्लेयर तक काफी काम मैंने सीख लिया मिस्टर की एक दफे मुझे छोड़कर तरक्की के लीडर फास्ट नहीं देनी पड़ी जूती पंडाल पर मासिक पर रेलवे में नौकरी पर लगे थे जब 1904 में नौकरी छोड़ी वक्त उनका मूल वेतन ₹150 और ₹50 भत्ता मिलता था यानी कुल ₹200 वेतन उस जमाने में एक बहुत बड़ी धनराशि थी बैठा रह वर्ष की उम्र में रेलवे में बाहर हुए थे उनका जन्म 18 जून 2020 में हुआ था और 18 सो 82 ईस्वी में उन्होंने नौकरी प्रारंभिक की नौकरी करते हुए अमीर मुंबई नागपुर होशंगाबाद इटारसी जबलपुर एवं झांसी चेहरों में रहे इसी दौरान उन्होंने अपना अधिकार प्राप्त करते हुए पिंगल अट्ठारह छंद शास्त्र का अभ्यास किया उन्होंने अपनी पहली पुस्तक 2895 में श्रीमती रचना की जो पेटेंट के संस्कृत का आधिकारिक भाषा में का बिल पांडे जी बेदी जी ने सभी प्रश्नों का आवाज खड़ी बोली गद्य में किया है उन्होंने इसकी भूमिका में लिखा है इस कार्य में होशंगाबाद बाबू हरिश्चंद्र कुलश्रेष्ठ का जो शाम का मध्य प्रदेश राजधानी नागपुर में विराजमान है मैं प्रथम कर्तव्य अपने आवेदन में उन्होंने यह बात कही और अपनी पुस्तक में मंडी का बचपन से मेरा अनुराग तुलसीदास की रामायण तुलसीदास के बड़े विराट पर हो गया था उनकी कंठस्थ कर लिए थे होशंगाबाद में रहते हुए भारतेंदु हरिश्चंद्र की कवि वचन सुधा गोस्वामी राधाचरण की एक मासिक पत्नी मेरे वचन राठौर भी वृद्धि कर दी मैंने बाबू हरिश्चंद्र कुछ नाम की एक स्टूडेंट चाहिए जो वहीं पर कचहरी में कोर्ट में मुलाजिम थे मैंने उनसे पिंगल का पाठ पढ़ा फिर क्या था अपने को कभी नहीं मां कभी समय नहीं लगा आप समझिए जिस तरह से 18 तो 89 से 18 292 तक द्विवेदी जी की कई पुस्तकें प्रकाशित हैं कितने विनय विनोद विहार वाटिका किसने मारा जित्तू तरंगिणी देवी स्तुति चटक श्री गंगा लहरी इत्यादि प्रमुख और यह चल चला चल 1930 31 तक चला कि बीजेपी की कुल पचासी पुस्तकें प्रकाशित हैं और सन 1930 से 1920 तक इन्होंने प्रकृति नामक पत्रिका का संपादन किसने स्थापित किया था इसलिए इस कार्ड को हिंदी हिंदी कार्ड का साहित्य इतिहास में द्विवेदी युग के नाम से जाना जाता है
देखें दिवेदी युग का नामांतरण किन के नाम पर किया गया है तो दिवेदी युग का जो नामांतरण है वह भारतीय साहित्य के बहू की धनि वीर प्रसाद द्विवेदी के नाम पर किया गया है धन्यवाद