मंकी नहीं कौन सी आप लोगों को इसकी जगह कोई लड़की है और अच्छा किसी भी इंसान के जो अपनी निजी जिंदगी होती है बंद कर दूंगी जब कोई हमारे भारतीय मैसेंजर एप आ जाएं
नमस्कार आपका सवाल है कि व्हाट्सएप की नई पॉलिसी के अनुसार क्या भारत में व्हाट्सएप बंद होना चाहिए क्या नहीं तो देखो जी वैसे मैंने भी सुना था तो व्हाट्सएप में जो है जबसे नई पॉलिसी आई है हालांकि अभी कल शायद खबर निकल कर आ रही है बाकी खबर पक्की नहीं है कि मुझे तो ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला मैंने नहीं पढ़ा करो मेरे दोस्त कहते हैं कि व्हाट्सएप ने अपनी नई पॉलिसी वापस ले ली है ठीक है बाकी आशापुरा पुष्टि है या नहीं ली कि नहीं ली इतना मुझे पता नहीं है मगर अगर कुछ ऐसा होगा तो कृपया जरूर कमेंट करके बता दीजिएगा हमें भी लेकिन हां ऐसा क्या कते एंड 2015 का जो है कृष्ण का जो है मतलब किए सब कुछ ऐसा जो है नहीं रहेगा ठीक है पहले व्हाट्सएप ने ऐसे कहावत है कि अपना जो editor.js टूट कर के रखे नहीं तो लोगों का होता है ठीक है और किसी को नहीं देंगे लेकिन अब यह मतलब एक इन्होंने कमाई का जरिया जो है बना लिया है कि जिससे में दर्द की एडवर्टाइजमेंट होगी फेसबुक तो अब एडवर्टाइजमेंट के लिए रह गया है काफिला को पैसा कमाया जा रहा है इससे टीका यह केवल पोस्ट का साधन अब नहीं रहा है तू यह कहीं तरह से गलत है किसी की जानकारियों को एक-दूसरे की कंपनी से शेयर करना ठीक है तो यह जरा सर नहीं होना चाहिए वैसे विरोध प्रदर्शन हुए मैंने कल वीडियो भी देखी थी उसमें संदर्भ में की एबीपी न्यूज़ पर वीडियो दिखाया जा रहा था जिसमें विरोध प्रदर्शन करते हुए नजर आ रहे थे तो कहीं ना कहीं मिलता है व्हाट्सएप पर यह फैसला वापस लेना ही पड़ेगा वरना इनको खुद को ही खूब घाटा झेलना पड़ेगा बाकी आप लोगों क्या लगता है जरूर बताइएगा धन्यवाद
महेंद्र सिंह गौर से आप मुझे सुन रहा है बोल कर बात तो सवाल पूछा कि व्हाट्सएप भी नहीं पॉलिसी पर आप लोगों की क्या राय है आपको ऐसा नहीं लगता कि व्हाट्सएप बंद होना चाहिए उसकी जांच होनी चाहिए कि मेरा मानना तो यह है कि व्हाट्सएप बंद तो नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे अगर हमें अभी इससे बेटर ऑप्शन कोई नहीं मिल रहा है लकी सिग्नल है बट से बैठक ऐसी कोई भी चीज अभी हमें नहीं है है ना तो व्हाट्सएप बंद तो नहीं होना चाहिए आइए जरूर होना चाहिए कि हमारे इंडियन गवर्नमेंट को जोड़ देना चाहिए हालांकि इस पर अर्जी भी लगी है और बहुत से लोग इसके अगेंस्ट थे क्योंकि पब्लिक की पावर बहुत ही ज्यादा होती है क्यों अभी की पावर के कारण सभी लोग इतने ज्यादा अगेंस्ट होगा सोशल मीडिया पर इसका इतने ज्यादा विरोध हुआ तो व्हाट्सएप ने अपनी पॉलिसी की एक्सेप्टेशन को थोड़ा आगे बढ़ा दिया मृतक कर दिया अभी जो फरवरी तथा 8 फरवरी तक उसको थोड़ा आगे बढ़ा दिया और रहने गवर्नमेंट के टेलीकॉम मिनिस्टर है मिस्टर रवि शंकर प्रसाद उन्होंने व्हाट्सएप को नोटिस भी भेजा है कि आप इसको बटवा कर लीजिए सारी पॉलिसी स्कोर क्योंकि हम रिपब्लिक की सिक्योरिटी सबसे पहले है आप अपना बिजनेस कर सकते हैं बट यहां की सिक्योरिटी को ध्यान में रखकर और लिमिट में रहकर मर्यादा में रहकर आप इंडिया में बिजनेस कर सकते हैं तो ये हमारी इंडियन को हमेशा बनाए जो कि सही भी है क्योंकि हमारी सिक्योरिटी सबसे पहले है भाई आपका बिजनेस है तो ठीक है लेकिन कुछ कुछ भ्रांतियां में फैली हुई है जैसे कि व्हाट्सएप पर पता चला कि आप सोच रहे हैं लोग सोच रहे हैं चैट करने से पहले कह रही है मैं जिसको चैट करूंगा तो तुरंत ही गूगल पर दिखने लगी वेबसाइट देखने हो किसी भी सरकार भ्रष्ट हो जाएगा मेरा नंबर स्टोरेज आ गया कि कोई कोई नंबर स्टोर मेरे कोई के साथ ऐसा नहीं होता और आपकी चैट पैसे बिल्कुल भी स्टोर नहीं हो सकती हो किसी व्हाट्सएप ना अभी भी यही कहा कि अभी दोनों चैट एंड 20 डे मींस अभी मैंने से व्हाट्सएप देख सकता है और मैं इसका एग्जांपल अपने पहले ऑडियो में दे चुका हूं आप चाहे तो वह सुन सकते हैं तो मेरी राय शायद आपको अच्छी लगी हो या ना लगी अच्छी लगी हो तो लाइक जरूर कर देना और साथ-साथ फॉलो भी कर ले थैंक्स फॉर लिसनिंग
क्या आपका प्रश्न ही कठिन समय में अपने दिमाग को कैसे शांत करें दिखी गहरी सांस लेने का अभ्यास करें यदि पी यह सुझाव आपको अजीब प्रतीत हो रहा होगा पर गहरी सांस लेने का अभ्यास आपके मस्तिष्क को शांत रखने में असर जनक रूप से कारगर है इनका प्रतिदिन अभ्यास करें और तनाव के समय में यह उसे कम करने में मदद करेगा अपने मुंह को बंद कर नाक से गहरी सांस लें
मार्केट के अंदर देखी आजकल ऐसे टीवी मौजूद है जिनके अंदर हम इंटरनेट का यूज कर सकते हैं यानी कि हम ऑनलाइन जो वेब सीरीज होती है मूवीस होती है वह देख सकते हैं और वही आने वाले 3000 सालों में जितने भी टीवी चैनल सोते हैं यह सारे लोग टीवी पर डाटा की मदद से ही देखा करेंगे यानी कि इंटरनेट की मदद से ही देखेगी और आपने यह भी देखा होगा कि जितने भी स्मार्टफोन होते हैं उनके अंदर जो टीवी चैनल सोते हैं यानी कि जो टीवी चैनल प्रोवाइडर सोते हैं उन्होंने अपने आप बना रखे हैं जिनकी मदद से हम उन सभी टीवी चैनल को एक्सेस कर सकते हैं तो देखिए तीन-चार सालों में मुझे लगता है कि ऐसा ऐप ईटीवी के लिए भी बना दिया जाएगा ताकि लोग ऑनलाइन ही अपनी टीवी के अंदर सभी चैनल को एक्सेस कर सके तो इसमें कोई शक नहीं है कि फ्यूचर के अंदर सभी चीजें इंटरनेट की मदद से ही कनेक्टेड होगी धन्यवाद
सवाल है क्या शास्त्रों के अनुसार गुरु को त्याग सकते हैं देखिए आचार्य चाणक्य नीति के अनुसार गुरु वही माना जाता है जो स्वयं में ज्ञान का सागर समेटे हुए हैं ऐसा गुरु जिनकी कथनी और करनी में अंतर हो अर्थात जो अपने शिष्यों को तो शिक्षा देते हो लेकिन वही सीख उनके आचरण में ना हो ऐसे गुरु का त्याग कर देने में ही आपकी भलाई है विद्या के अभाव में जी रहा व्यक्ति कभी भी अच्छा गुरु नहीं हो सकता है धन्यवाद
जी आप का सवाल है कि तांडव वेब सीरीज में के बारे में आपकी क्या राय है तो जो भी अभी वर्तमान में चर्चा में तांडव एब्सली चल रही है इसमें मेरे ख्याल से हिंदू देवी देवताओं का अपमान किया गया है और साथ ही ऐसे पूरी जनता पर इसका बुरा असर पड़ता है किसी भी धर्म के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए तो मेरे ख्याल से यह जो भी फिल्म बनी है वह गलत
सुनील कुमार चौधरी जी के माध्यम से यह अनुरोध इस प्रश्न आया है कि पहाड़ पर चढ़ते समय मनुष्य आगे की तरफ क्यों झुक जाता है पीछे तरफ क्यों नहीं छुपता देखिए आपने फिजिक्स से यानी बहुत तेजी से यह प्रार्थना किया है हम लोग पढ़ते हैं पहाड़ हो या सीढ़ी हो वहां भी हम आगे झुकते हैं और इसका मुख्य कारण है कि ग्रेविटेशनल फोर्स काम करता है जिसको हिंदी में गर्भवती औरत या केंद्र कहते हैं कि होता है कि आगे हम इसलिए झुकते हैं ताकि हमारा ग्रुप व केंद्र है और उनके पांव के बीच से होकर जो गुजरता है तथा जो अधिक संतुलन आती तो प्राप्त होता है इसे या नहीं आपको एक अस्तित्व प्राप्त होता है कि आप अपना बैलेंस बना रखे और हम सभी जानते हैं कि यह पृथ्वी जो है ग्रेविटेशनल फोर्स पर ही आधारित है यानी कोई भी चीज हम ऊपर फेंकते हैं तो नीचे आता है इसी प्रकार हम लोग गुरुत्वाकर्षण केंद्र के वजह से इस पृथ्वी पर बने हुए हैं नहीं तो हम ऊपर उड़ जाते और शायद ऐसा होता लेकिन इसके वजह से जो है हम लोग पृथ्वी पर बने हुए हैं यही मुख्य कारण है कि जब हम सभी पर या जो भी उचित स्थान होते हैं वहां चढ़ने के लिए हमें आगे के झोका करना होता है और पीसा की झुकी हुई मीनार इसी पर काम करता है जैसे आप देखे हो ना कि पीसा की झुकी मीनार जो है झुका हुआ रहता है तो उसके बीच बीच में ₹1 स्थाई के अंदर जो है काम करता है जिसकी वजह से वह गीता नहीं है जबकि झुका हुआ दिखाई देता है ठीक उसी प्रकार जो है शिर्डी या पहाड़ पर चढ़ते समय हमारे साथ ऐसा होता है मुझे लगता है कि आपके प्रश्नों के जवाब दे दिया है धन्यवाद
सिवान तो आज आप का सवाल है कि क्या पूजा करने के लिए भी कोई नियम होते हैं तो देख मेरे हिसाब से अगर आपको मतलब कभी कदार होता है क्यों देर से उठते हैं या फिर रात में कोई काम पड़ जाता है जिसकी वजह से नींद नहीं खुल पाती है तो ऐसा नहीं कि आपको सुबह 7:00 बजे से मेरे बहुत सारे दोस्त हैं क्या मतलब उनको अगर उसके मम्मी पापा अगर बोलते हैं की पूजा करनी चाहिए और वह लेट उठते हैं या फिर खेलने घूमने चले जाते तो ऐसा नहीं कि वह गलत समय पर नहीं कर पाते पूजा तो दोपहर में या फिर उसके बाद में करते कर ले तेरे हिसाब से अगर ऐसा कोई सलूशन कभी हो जाता है तो आप लेट ही कर सकते हैं लेकिन कुछ नहीं है मैं जैसे की चप्पल पहन कर रही क्योंकि एक तरह का डिस्टेंस वेक्टर और एक तरफ अच्छा चीज नहीं है क्योंकि जब भी हम किसी चीज को बहुत ही दिल से और अच्छे से मानते हैं तो वहां पर चप्पल और फिर ऐसे हंसना खिलखिलाना ध्यान के समय जानबूझकर ऐसे में जबरदस्त शीला है मन नहीं कर रहा है सब करके नहीं करना चाहिए सबसे इंपॉर्टेंट जो मुझे लगता है कि चप्पल पहन चली जाना चाहे तो यह कुछ नहीं है मेरा और टाइम का अगर आपके पास अगर टाइम में इधर-उधर हो जा रहा है तब भी खराब ध्यान करना चाहे पूजा करना चाहे तो जिस समय आपको इतना टाइम मिला आंख खुली उसमें भी आप कर सकते हैं
जब किसी की मृत्यु होती है तो उस कहते हैं पढ़ लो बासी हो गया है या दिवंगत हो गया है या स्वर्गवासी हो गया है या बैकुंठ लोक गया है क्या वह शुद्ध पहुंच गया है जब पंचतत्व में विलीन हो गया है कि विभिन्न प्रकार के शब्दों के अर्थ वही है और पशु पक्षी कहने से तात्पर्य होता है कि वह हिंदू धर्म में हमेशा मानते हैं कि सब कुछ भी मृत्यु होती है तो उसके लिए हम कहते हैं कि 10 वर्ग को किया है वह बैकुंठ लोक को गया है अर्थात भगवान के पास में जाना ही हमारा परमार्थ है हमारा हमारे जन का सार्थक प्रयास है और इसी को मोक्ष कहते हैं जब मानव आवागमन से मुक्त हो जाए तो वह मुक्त कहलाता है और यही जीवन के चौथे प्रशांत है जिसे हम धर्म अर्थ काम मोक्ष कहते हैं तो यह जो है जीवन का अंतिम और शाश्वत परम प्रशांत है
बिटिया दही शब्द की परिभाषा को याद करें और उसका उत्तर दें दहेज शब्द की परिभाषा यह है प्राचीन काल में जो दही दिया जाता था उसका कारण यह था कि बेटी वाला पसंद हो करके अपनी बेटी को नया जीवन जीने के लिए उसके रिश्तेदार उसके भाई बंधु और कुछ सेम जो कुछ देता था वही चलाता है लेकिन आज जो तुम देख रहे हो वह दहेज नहीं दहेज का भयंकर रूप है यह राक्षसी करते हैं आप किसी बेटी वाले को मजबूर करें कि वह 4000000 या 50 लाख दे अपनी जमीन जायदाद भेज दें क्योंकि उसे अपनी लड़की के लिए सुयोग्य वर ढूंढो क्योंकि उसे सुयोग्य पात्र चाहिए मैं आपसे सहमत हूं आप यह कह रहे हैं कि मैं भी पढ़ा लिखा और नौकरी वाला मत ढूंढ लेकिन एक बात बताइए बेटे क्या समाज में यदि हम बिना दहेज के नहीं जी सकते हैं आप दहेज के बल पर ही यह कह रहे हो आज किसी भी लड़के की नौकरी लग जाती तो उसके बाप की लॉटरी खुल जाती है वह अनाथ धूम धूम खोल करके मांगता है यदि पहले दहेज नहीं था तो क्या वह भोजन नहीं खाते थे लिखित संतोष बढ़ती चली गई है यह कहिए मान्यता मिल चुकी है क्या विवाह करने का मतलब यह है कि उस लड़की के पैर पक्ष को पूरी तरह से मिटा देना बर्बाद कर देना उसकी जमीन जायदाद बिकवा देना जो बेटी वाला और रिश्तेदार यदि खुशी से देते हैं जीवन जीने के लिए तो मैं सोच रहा हूं अनिश्चित नहीं है लेकिन किसी को बात भी किया जाए
कल पूछा गया है क्या भावना इंसान को कम सूट बनाते हैं तो देखिए एक के दो पहलू सकते हैं जो व्यक्ति भावना प्रधान व्यक्ति होता है वह अपने से पहले दूसरों का दुख महसूस कर लेता है वह बहुत जल्दी किसी भी चीज पर पिघल जाता है और उसके अलावा जो है जो इसको कमजोरी के तौर पर देखने का भी हो सकता है कि वो व्यक्ति भावना प्रधान होता है वह कमजोर होता है वह कभी अपने मतलब अपने हित का पहले नहीं सोच पाता तो यह आपके और हमारे देश के पहलुओं का जो है परिणाम है कि हमें कह सकते कि जो भावनाएं इंसान को कमजोर बनाती है कई लोग इसी भावना प्रधानता को बहुत बड़ा जो बोल सकते नहीं की विशेषता के तौर पर देखते हैं और कई लोग इसको कमजोरी के तौर पर देखते हैं और मेरा यह मानना है कि एक भावना प्रधान व्यक्ति होना बहुत जरूरी है जहां जैसे माहौल में हर कोई सिर्फ अपने बारे में सोच रहा है अपने अहम को अपनी ईगो को नोटिस कर रहा है अपनी रुको सेटिस्फाई करने के लिए लोगों को तकलीफ पहुंचा रहा है ऐसे में भावना प्रधान व्यक्ति से कई गुना ज्यादा बेहतर होता है उम्मीद करती हूं आपको मेरा जवाब पसंद आया होगा धन्यवाद