प्रश्न है हनुमान जी ने अर्जुन का घमंड कैसे तोड़ा दोस्तों अर्जुन ने हनुमान जी का घमंड कैसे तोड़ा अपना बल प्रयोग करके अपना बल दिखाकर अपने हाथ जोड़े और क्षमा मांगी के सर आप के आप भगवान हैं मुझे नहीं पता था आप इस ग्रुप में अब भगवान ने मुझे क्षमा कर दीजिए तो इस तरह से हनुमान जी ने अर्जुन का घमंड तोड़ दिया दोस्तों इसे देखने के लिए आप देखिए जय जय जय बजरंगबली
कहा जाता है कि एक बार मान जी ने किसी बात को लेकर मुझे शर्त लगाई थी फिर हनुमान मैंने सेट जीतकर अर्जुन का घमंड चकनाचूर कर दिया इस कारण की आग जलते ही हनुमान जी में प्रवेश करने वाले थे कि भगवान श्रीकृष्ण कटे हुए और उन्हें शक करने से रोक दिया 1 सिर काटना बताया कि आप पहले ही पक्ष रखते हुए से तू टूट गया होता घर में कछुआ बनकर अपनी पीठ पर बाहर नहीं उठाता है सुनकर हनुमानजी दुखी हुए हनुमान जी ने क्षमा मांगी इस कारण अर्जुन का घमंड टूट गया
नमस्कार दोस्तों आपका प्रश्न हनुमान जी ने अर्जुन का घमंड कैसे तोड़ा तो दोस्तों आइए नवभारत टाइम्स डॉट कॉम की कॉस्ट के अनुसार है यह जानकारी लेते हैं दोस्तों महाकाल के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर अर्जुन राम सेतु के पास एक अपराध कर बैठे इसी अपराध की आत्मग्लानि में उन्होंने अग्नि प्रज्वलित की और आत्मदाह करने लगे तभी भगवान बजरंगबली ने उनकी मदद के लिए भगवान कृष्ण को पुकारा दरअसल अर्जुन अपने रथ पर सवार होकर रामेश्वरम से गुजर रहे थे क्या उन्होंने एक कपि को रामसेतु पर बैठकर तपस्या करते देखा लेकिन अर्जुन ने यह जाने बिना कि वह कौन है उन्हें जगाने के लिए बाण चला दिया फिर जोर से हंसने लगे जब बजरंगबली ने अर्जुन से उनकी हंसी का कारण पूछा तो वह बोले कि उन्हें पत्थरों का सेतु देखकर हंसी आ रही है क्योंकि प्रभु राम तो एक धनुर्धर थे उन्हें पत्रों से नहीं अपने वादों से सेतु का निर्माण तब कपि रूप भगवान हनुमान ने समझाया कि राम जी की सेना में महाबली वानर शामिल थे जिनका वजन वनों का सेतु झेल नहीं पाता इस पर अर्जुन ने घमंड दिखाते हुए कहा कि मैं बड़ों का से तू बनाकर उस पर अपना रत्न उड़ाते हुए ही यहां तक पहुंचा हूं अर्जुन ने कहा कि अगर आप मेरा बनाया बड़ों का हेतु तोड़ देंगे तो मैं खुद को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर नहीं डालूंगा तब अर्जुन ने समुद्र पर अपने बड़ों का सेतु बना दिया और हनुमान जी के सामने उसे तोड़ने की चुनौती रखी हनुमान जी ने एक बार खड़े होने पर ही सेतु टूट गया इस पर अर्जुन निराश हो गए तब हनुमानजी ने उन्हें एहसास दिलाया कि अपने आकार में उन्होंने भगवान राम का अपमान किया है क्योंकि अपनी विद्या के घमंड में उन्होंने राम जी की धनुर्विद्या पर संदेह जताया है दोस्तों अपनी गलती का अहसास होते ही अर्जुन ने आत्मग्लानि के भाव के साथ एक बार से मेहनत अग्नि प्रज्वलित की हनुमान जी ने पूछा कि आप यह क्या कर रहे हैं तब अर्जुन ने कहा कि भगवान के अपमान का कारण मेरी विद्या ही है और अब मैं इस विद्या के साथ ही खुद भी आत्मदाह करने जा रहा हूं भगवान श्री कृष्ण अपने दिव्य दृष्टि से यह सब देख रहे थे और हनुमान जी के पुकारने पर तुरंत प्रकट हुए दरअसल भगवान कृष्ण ने हनुमान जी को अर्जुन का घमंड चूर करने के लिए भेजा था ताकि घमंड के कारन अर्जुन पथभ्रष्ट ना हो जाए तब भगवान ने कृष्ण - भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा मित्र तुम आत्मदाह करना चाहते हो क्योंकि तुमने मेरा अपमान किया लेकिन ऐसा करके तू मेरी बन आई प्रकृति के नियमों का उल्लंघन करोगे मैंने मनुष्य को यह अधिकार नहीं दिया है कि वह स्वयं को अपने कर्मों का फल या पाप का दंड दे ऐसा करके तुम ईश्वर की नीति में हस्तक्षेप करने जा रहे हो जो कि एक्शन में अपराध होगा यहां ही कृष्ण ने सबसे पहले अर्जुन को महाभारत के युद्ध का संकेत दिया था कान्हा ने अर्जुन को एहसास दिलाया कि आने वाले समय में जो बहन को युद्ध होगा उसमें तू भी केंद्र रहोगे और तुम ही दूरी भी इसलिए तुम्हें अपनी विद्या पर जो घमंड हुआ उसे तोड़ना आवश्यकता धन्यवाद
हनुमान जी ने अर्जुन का घमंड इस प्रकार तोड़ा था कि अर्जुन को यह विमान हो गया था कि मेरे से योग्य इस संसार में और कोई जानकारी नहीं क्योंकि मैंने कोर्स कुरुक्षेत्र की दुख जीता था मैंने बहुत सारी दिव्यांशु को प्राप्त किया है मेरी इस गाड़ी में इतनी ताकत है इसके समक्ष कुछ भी कोई भी नहीं टिक सकता है एक बार हनुमान जी समुद्र के किनारे बैठे हुए थे वृद्धावस्था में का रूप लेकर के और श्री राम की ढाणी करते जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम भजन कर रहे थे वहां से उज्जैन को जोड़ने लगे तो पास भी तो अर्जुन ने जब उनको देखा तो उसने अभिमान से उनको प्रणाम नहीं किया और उसने लगा क्या मुझसे सिर्फ इस दुनिया में कोई और धन गाड़ी है हनुमान जी ने कहा आपको तो मैं नहीं जानता आप कौन हैं लेकिन हां मेरे प्रभु श्रीराम से पढ़ करके इस संसार में कोई भी जानकारी ना तो हुआ है ना कभी होगा उनका आप राम को धुंधरी करें उन श्री राम को उन्होंने अगर बुद्ध ने जारी होते तो समुद्र को बांधने के लिए वह बंदरों को सेतुबंध बनाने के लिए आदेश नहीं देते वह केवल पाल के द्वारा ही ऐसा बना दे साबो बना देती ट्रांस ताकि उनके बंदर सेना उसी पर निकल निकल जाती हनुमान जी ने कहा मेरे मित्र युवा तुम अभी जोश में हूं तुमने युद्ध देखा नहीं था ना तुम उन बंदरों के बारे में जानते हो कि वह कितने अपूर्व बलशाली थे उनमें एक से एक अतुलित बलशाली योद्धा थे इसलिए वह बंदरों का ब्रिज पुल वानर सेना नौसेना का फूल यह तुम्हारे वार्ड का आपसे तो नहीं झेल सकता था उनका कैसी बात करते हो आप मैं अभी देखो आपके सामने वालों का से तू बता बनाता हूं तो हनुमान जी से उनकी शर्तो गई हनुमान जी ने कहा कि यदि तुम्हारे पास है तू मेरे अकेले के भोजन को सेंड कर गया तो मैं मान लूंगा कि तुम से चला रही हो और यदि तुम मेरे अकेले का भजन को भी सेंड ना कर सका तो तुम सोचो जैसी तू कितनी ही बार अतुलित बलशाली उस राम की सेना में थी मैं तो उनके समक्ष कुछ भी नहीं हूं नहीं हूं इस प्रकार अर्जुन ने बाण चलाया और बाण चलाकर के उस नदी पर पुल बना दिया अब हनुमानजी की बारी आई और हनुमान जी ने जय श्री राम काम कार्य करते हुए उस बड़ों के पुल पर पैर रखा और पुल नीचे दशक में लगा पानी में टच हो गया तो श्रीकृष्ण ने कछुए का रूप धारण किया और अर्जुन की प्रतिज्ञा रखने के लिए उनको तो उनको टूटने से बचाया तब श्री हनुमान जी हंसी और उन्होंने कहा कि प्रभु यहां भी मिला कर रहे हो आप अपने भक्तों अर्जुन को बचाने के लिए आपने कछुए करो धारण कर लिया है तो श्रीकृष्ण निकल कर के बाहर आए उन्होंने समझाया कि अर्जुन तुम राम भक्त हनुमान को नहीं जानते यह मेरा प्रिय भक्त है इसकी बहुत को तुम्हारा यह बड़ों का सेतु नहीं झेल सकता है तब मोनिक परिचय हुआ अर्जुन का और हनुमान जी के चरणों में अर्जुन गिर पड़े स्वामी मुझे क्षमा कर दो मेरे से गलती हो गई मैं आपको पहचान ना सका तब हनुमानजी ने श्री कृष्ण से कहा कि गोविंद मेरी एक बात सुन भी नहीं आई प्रताप का मैं भी हूं वक्त अर्जुन गई है लेकिन क्या कारण था ना आपने आज अर्जुन की प्रतिज्ञा रखने के लिए किसानों की स्थिति को बचाया है तब भी गोविंद मैं आपका श्री राम के रूप में दर्शन करना चाहता हूं तो श्रीकृष्ण ने राम का रूप धारण किया भक्तों अर्जुन को तो वो खुश नजर आ रहे थे और हनुमान जी को श्री राम नजर आ रहे थे जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम इस प्रकार से अर्जुन का अभिमान हनुमान जी ने तोड़ा था
हेलो फ्रेंड्स नमस्कार जैसा कि आपका प्रश्न है हनुमान जी ने अर्जुन का घमंड कैसे तोड़ा अर्जुन ने भगवान राम का जो है वह अपमान किया था यह सुनकर हनुमानजी ने उनका घमंड जो है वह तोड़ने का विचार बनाया और हनुमान जी ने समझाया कि राम जी की जो सेना है वह महाबली बानर शामिल थे जिनका वजन जो है वह वालों का सेतु झेल नहीं पाता इस पर अर्जुन ने घमंड दिखाते हुए कहा कि मैं वालों का सेतु जो बनाकर उस पर अपना रथ दौड़ आते हुए ही यहां तक पहुंचा हूं और इस प्रकार जो है हनुमान ने अर्जुन का जो है घमंड तोड़ा आशा है कि आप सभी को ऐसा पसंद आया होगा शुक्रिया
Kisan,Journalist,Marathi Writer, Social Worker,Political Leader.
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हनुमान जी ने अर्जुन का घमंड कैसे तोड़ा सवाल थोड़ा सा गलत लगता है महाभारत की कथा के अनुसार भीम का गुरु हनुमान ने तोड़ा था जब पांडव अपने वनवास काल में थी और उस दिन को अपनी ताकत का गर्भ होने लगा था राक्षसों को खत्म कर दिया था और वह खाना भी बहुत ज्यादा खाते थे और गदा युद्ध में सर्वश्रेष्ठ थी तो मैं शक्ति बहुत सारी होगी इसमें तो कोई शंका नहीं लेकिन हनुमान को यह पता चला जब हनुमान ने यह समझा कि भीम का गरबा रंग कैसे किया जाए तो उसने एक बूढ़े बंदर का प्ले करो पांडवों के रास्ते के बीच चोपड़ा और अपनी होती है वैसे में डाल दिए और जब पांडवों से गुजरने लगे तो बोलो उस जगह पर से जाना था तो वह तो बहुत बुढ़ापा बंदर दिख रहा था तो अपने हाथ से उसको हटाने के प्रयास किए पहले और दूसरे भाइयों के भाई जो जो थे जिनके उन्होंने प्रयास किया उनको पता चला कि सीधा-साधा बंदा नहीं है तो भीम ने अपने घरों में कहा कि ऐसा कोई भी बंदर नहीं हो सकता जिसकी मैं मेरी ताकत से उसको उसकी पूछ मैं नहीं सोऊंगा और वह खुद जाकर हनुमान की न्यूज़ बंदर की पूंछ कोटा नहीं लगा और उस बंदे ने कहा कि मैं इतना बुरा हो गया हो कि मेरे से गलती नहीं है आप ही कुछ करवाओ उसको बाजू में ढकेल जब भीम ने हाथ लगाया तो पूछती है वह अपनी जगह से ज्यादा बिजली नहीं और जो लगाया फिर भी नहीं पूरी ताकत लगा दी कुछ नहीं तो पांडवों ने समझा कि यह कोई आसान बंधन नहीं सामान्य बंधन नहीं है उनसे हाथ जोड़े और कहा कि भगवान आपको है हमें बताइए तब हनुमान अपने असली रूप में आ गए उनके उपदेश दिया कि घमंड करना अच्छा नहीं ऐसी कथा महाभारत में आती है आखिर कथा है लेकिन इस कथा के इस घटना से पता चलता है कि महाभारत और रामायण के बाद घटाएं क्योंकि रामायण तो हनुमान तो रामायण में थे महाभारत में तो नहीं थे हम महाभारत का उल्लेख रामायण के अंदर कहीं पर नहीं आते महाभारत में आ सकते हैं तो पहले रामायण में हो पढ़ा लिखा गया है या उसकी घटना घटी है और उसके बाद भारत का टीकाकरण समझा जाता है अब दूसरी कथा दूसरी बात भी होती है कि ऐसे जो कथाएं और ऐसी पुराणों में उठने के बड़े कई सारे संस्कृति में सीखा था एक काल्पनिक कथा है बुद्ध के संदर्भ में बताएं जो पुलिस करने वाली कथा एक मानी जाती है उस के माध्यम से उपदेश किया गया एवं जनता को उसी तरह से इस कथा से उपदेश दिया गया है अगर कोई आदमी अपनी ताकत पर घमंड करता है तो गलत बात होती है अपनी ताकत पर घमंड नहीं करना चाहिए धन्यवाद
क्या आपका प्रश्न ही कठिन समय में अपने दिमाग को कैसे शांत करें दिखी गहरी सांस लेने का अभ्यास करें यदि पी यह सुझाव आपको अजीब प्रतीत हो रहा होगा पर गहरी सांस लेने का अभ्यास आपके मस्तिष्क को शांत रखने में असर जनक रूप से कारगर है इनका प्रतिदिन अभ्यास करें और तनाव के समय में यह उसे कम करने में मदद करेगा अपने मुंह को बंद कर नाक से गहरी सांस लें
मार्केट के अंदर देखी आजकल ऐसे टीवी मौजूद है जिनके अंदर हम इंटरनेट का यूज कर सकते हैं यानी कि हम ऑनलाइन जो वेब सीरीज होती है मूवीस होती है वह देख सकते हैं और वही आने वाले 3000 सालों में जितने भी टीवी चैनल सोते हैं यह सारे लोग टीवी पर डाटा की मदद से ही देखा करेंगे यानी कि इंटरनेट की मदद से ही देखेगी और आपने यह भी देखा होगा कि जितने भी स्मार्टफोन होते हैं उनके अंदर जो टीवी चैनल सोते हैं यानी कि जो टीवी चैनल प्रोवाइडर सोते हैं उन्होंने अपने आप बना रखे हैं जिनकी मदद से हम उन सभी टीवी चैनल को एक्सेस कर सकते हैं तो देखिए तीन-चार सालों में मुझे लगता है कि ऐसा ऐप ईटीवी के लिए भी बना दिया जाएगा ताकि लोग ऑनलाइन ही अपनी टीवी के अंदर सभी चैनल को एक्सेस कर सके तो इसमें कोई शक नहीं है कि फ्यूचर के अंदर सभी चीजें इंटरनेट की मदद से ही कनेक्टेड होगी धन्यवाद
सवाल है क्या शास्त्रों के अनुसार गुरु को त्याग सकते हैं देखिए आचार्य चाणक्य नीति के अनुसार गुरु वही माना जाता है जो स्वयं में ज्ञान का सागर समेटे हुए हैं ऐसा गुरु जिनकी कथनी और करनी में अंतर हो अर्थात जो अपने शिष्यों को तो शिक्षा देते हो लेकिन वही सीख उनके आचरण में ना हो ऐसे गुरु का त्याग कर देने में ही आपकी भलाई है विद्या के अभाव में जी रहा व्यक्ति कभी भी अच्छा गुरु नहीं हो सकता है धन्यवाद
जी आप का सवाल है कि तांडव वेब सीरीज में के बारे में आपकी क्या राय है तो जो भी अभी वर्तमान में चर्चा में तांडव एब्सली चल रही है इसमें मेरे ख्याल से हिंदू देवी देवताओं का अपमान किया गया है और साथ ही ऐसे पूरी जनता पर इसका बुरा असर पड़ता है किसी भी धर्म के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए तो मेरे ख्याल से यह जो भी फिल्म बनी है वह गलत
सुनील कुमार चौधरी जी के माध्यम से यह अनुरोध इस प्रश्न आया है कि पहाड़ पर चढ़ते समय मनुष्य आगे की तरफ क्यों झुक जाता है पीछे तरफ क्यों नहीं छुपता देखिए आपने फिजिक्स से यानी बहुत तेजी से यह प्रार्थना किया है हम लोग पढ़ते हैं पहाड़ हो या सीढ़ी हो वहां भी हम आगे झुकते हैं और इसका मुख्य कारण है कि ग्रेविटेशनल फोर्स काम करता है जिसको हिंदी में गर्भवती औरत या केंद्र कहते हैं कि होता है कि आगे हम इसलिए झुकते हैं ताकि हमारा ग्रुप व केंद्र है और उनके पांव के बीच से होकर जो गुजरता है तथा जो अधिक संतुलन आती तो प्राप्त होता है इसे या नहीं आपको एक अस्तित्व प्राप्त होता है कि आप अपना बैलेंस बना रखे और हम सभी जानते हैं कि यह पृथ्वी जो है ग्रेविटेशनल फोर्स पर ही आधारित है यानी कोई भी चीज हम ऊपर फेंकते हैं तो नीचे आता है इसी प्रकार हम लोग गुरुत्वाकर्षण केंद्र के वजह से इस पृथ्वी पर बने हुए हैं नहीं तो हम ऊपर उड़ जाते और शायद ऐसा होता लेकिन इसके वजह से जो है हम लोग पृथ्वी पर बने हुए हैं यही मुख्य कारण है कि जब हम सभी पर या जो भी उचित स्थान होते हैं वहां चढ़ने के लिए हमें आगे के झोका करना होता है और पीसा की झुकी हुई मीनार इसी पर काम करता है जैसे आप देखे हो ना कि पीसा की झुकी मीनार जो है झुका हुआ रहता है तो उसके बीच बीच में ₹1 स्थाई के अंदर जो है काम करता है जिसकी वजह से वह गीता नहीं है जबकि झुका हुआ दिखाई देता है ठीक उसी प्रकार जो है शिर्डी या पहाड़ पर चढ़ते समय हमारे साथ ऐसा होता है मुझे लगता है कि आपके प्रश्नों के जवाब दे दिया है धन्यवाद
सिवान तो आज आप का सवाल है कि क्या पूजा करने के लिए भी कोई नियम होते हैं तो देख मेरे हिसाब से अगर आपको मतलब कभी कदार होता है क्यों देर से उठते हैं या फिर रात में कोई काम पड़ जाता है जिसकी वजह से नींद नहीं खुल पाती है तो ऐसा नहीं कि आपको सुबह 7:00 बजे से मेरे बहुत सारे दोस्त हैं क्या मतलब उनको अगर उसके मम्मी पापा अगर बोलते हैं की पूजा करनी चाहिए और वह लेट उठते हैं या फिर खेलने घूमने चले जाते तो ऐसा नहीं कि वह गलत समय पर नहीं कर पाते पूजा तो दोपहर में या फिर उसके बाद में करते कर ले तेरे हिसाब से अगर ऐसा कोई सलूशन कभी हो जाता है तो आप लेट ही कर सकते हैं लेकिन कुछ नहीं है मैं जैसे की चप्पल पहन कर रही क्योंकि एक तरह का डिस्टेंस वेक्टर और एक तरफ अच्छा चीज नहीं है क्योंकि जब भी हम किसी चीज को बहुत ही दिल से और अच्छे से मानते हैं तो वहां पर चप्पल और फिर ऐसे हंसना खिलखिलाना ध्यान के समय जानबूझकर ऐसे में जबरदस्त शीला है मन नहीं कर रहा है सब करके नहीं करना चाहिए सबसे इंपॉर्टेंट जो मुझे लगता है कि चप्पल पहन चली जाना चाहे तो यह कुछ नहीं है मेरा और टाइम का अगर आपके पास अगर टाइम में इधर-उधर हो जा रहा है तब भी खराब ध्यान करना चाहे पूजा करना चाहे तो जिस समय आपको इतना टाइम मिला आंख खुली उसमें भी आप कर सकते हैं
जब किसी की मृत्यु होती है तो उस कहते हैं पढ़ लो बासी हो गया है या दिवंगत हो गया है या स्वर्गवासी हो गया है या बैकुंठ लोक गया है क्या वह शुद्ध पहुंच गया है जब पंचतत्व में विलीन हो गया है कि विभिन्न प्रकार के शब्दों के अर्थ वही है और पशु पक्षी कहने से तात्पर्य होता है कि वह हिंदू धर्म में हमेशा मानते हैं कि सब कुछ भी मृत्यु होती है तो उसके लिए हम कहते हैं कि 10 वर्ग को किया है वह बैकुंठ लोक को गया है अर्थात भगवान के पास में जाना ही हमारा परमार्थ है हमारा हमारे जन का सार्थक प्रयास है और इसी को मोक्ष कहते हैं जब मानव आवागमन से मुक्त हो जाए तो वह मुक्त कहलाता है और यही जीवन के चौथे प्रशांत है जिसे हम धर्म अर्थ काम मोक्ष कहते हैं तो यह जो है जीवन का अंतिम और शाश्वत परम प्रशांत है
बिटिया दही शब्द की परिभाषा को याद करें और उसका उत्तर दें दहेज शब्द की परिभाषा यह है प्राचीन काल में जो दही दिया जाता था उसका कारण यह था कि बेटी वाला पसंद हो करके अपनी बेटी को नया जीवन जीने के लिए उसके रिश्तेदार उसके भाई बंधु और कुछ सेम जो कुछ देता था वही चलाता है लेकिन आज जो तुम देख रहे हो वह दहेज नहीं दहेज का भयंकर रूप है यह राक्षसी करते हैं आप किसी बेटी वाले को मजबूर करें कि वह 4000000 या 50 लाख दे अपनी जमीन जायदाद भेज दें क्योंकि उसे अपनी लड़की के लिए सुयोग्य वर ढूंढो क्योंकि उसे सुयोग्य पात्र चाहिए मैं आपसे सहमत हूं आप यह कह रहे हैं कि मैं भी पढ़ा लिखा और नौकरी वाला मत ढूंढ लेकिन एक बात बताइए बेटे क्या समाज में यदि हम बिना दहेज के नहीं जी सकते हैं आप दहेज के बल पर ही यह कह रहे हो आज किसी भी लड़के की नौकरी लग जाती तो उसके बाप की लॉटरी खुल जाती है वह अनाथ धूम धूम खोल करके मांगता है यदि पहले दहेज नहीं था तो क्या वह भोजन नहीं खाते थे लिखित संतोष बढ़ती चली गई है यह कहिए मान्यता मिल चुकी है क्या विवाह करने का मतलब यह है कि उस लड़की के पैर पक्ष को पूरी तरह से मिटा देना बर्बाद कर देना उसकी जमीन जायदाद बिकवा देना जो बेटी वाला और रिश्तेदार यदि खुशी से देते हैं जीवन जीने के लिए तो मैं सोच रहा हूं अनिश्चित नहीं है लेकिन किसी को बात भी किया जाए
नमस्कार दोस्तों बोलकर आप में स्वागत है कि इन सवाल है फिल्म तांडव पर क्या विवाद जुड़ा हो तो मेरा मानना यह है कि फिल्म पांडे का विवाह देवी देवताओं अर्थात हिंदी देवताओं के प्रति मजाक बनाया जा रहा है तांडव नृत्य पर इसलिए लोगों ने यह विवाद शुरू कर दिया है कि हमारा हिंदी देवताओं के ऊपर ऐसा अपमान नहीं सहनशक्ति सहन नहीं कर सकते इसलिए लोगों ने आंदोलन विवाद उत्पन्न कर रखा है
हनुमान जी ने अर्जुन का घमंड कैसे तोड़ा
अर्जुन का घमंड