हाल ही में जो है तो अभी सरकार के साथ जो है तो किसानों की शादी मुलाकात जूही तो उस बैठक में जो है तो सरकार ने जब प्रस्ताव रखा कि इस आंदोलन को खत्म करने के लिए क्या वे वाकई में तीनों बिल को आज है तो खत्म करना चाहते हैं तो उन्होंने जवाब में जो है तो किसानों का यही जवाब था कि वह इस सभी आंदोलन के पीछे बस उनका यही मकसद है कि वह जो है इन तीनों बिल को जो है तो कैंसिल कराना चाहते हैं और जो है तो इस बैठक में भी बात नहीं बनी अब हाल ही में जो है तो आने वाले समय में जो है तो 8 जनवरी को फिर एक बैठक रखी गई है सरकार की ओर से देखिए हार आने वाले समय में क्या है कि इन आंदोलन का प्रारूप और रेखा अंतरण कहां तक संभव है यह तो नहीं मालूम लेकिन फिर भी जहां तक कुछ न कुछ बात है जो आज सरकार और किसानों के बीच समझी समझी लग रही है और होने आने वाले समय में लगता है कि कुछ ना कुछ बात बनेगी और देखे क्या है इससे हमारे देश को यह आर्थिक नुकसान हो रहा है आंदोलन से देख ले या फिर किसी और चीज से तो देखिए क्या है कि इसका सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए और यह नहीं कि इस पर थोड़ी बहुत चिंताजनक है बात लेकिन उनकी गंभीरता से सोचने की वाली बात इसलिए भी है क्योंकि वह हमारे देश के आर्थिक सहायक है और हमें उनकी बात सुननी चाहिए और सरकार को भी बड़ी शालीनता से उन से पेश आ कर के जो है तो उनके निर्णय के अनुसार जो भी नहीं लगता है वह उसका निर्णय लेकर किसानों को जल्द से जल्द खत्म करें जिससे कि सभी को दिक्कतों का सामना ना हो और वह इन समस्याओं से दूर हो सके
भारत के अनाज उगाने वाले किसान मुसीबत से जूझ रहे हैं ऐसा फ्रेंड पहले तो हम सभी जानते हैं कि भारत जो है वह किसान प्रधान देश है कृषि कब सर्वोत्तम जो आए हैं वह हमारे भारत में किसानों के द्वारा होती है और इसीलिए कहा गया कि जय जवान जय किसान मतलब जैसे हमारे जवान है वैसे ही ईशान है क्योंकि जवान हमारे देश की रक्षा करते हैं और हमारी किसान हैं और देश के लोगों को अन्य उगा के देते हैं और उनकी रक्षा करते बल्कि क्या करते हैं उन्हें सांस देने का काम करते हैं तब उनके जीवन यापन चलाने का एक जरिया है तू ईसूची अब ऐसा कहने में उचित होगा कि अब किसान प्रधान देश नहीं है अब हमारा देश की शान नहीं कुछ पूजी पतियों वाला देश है जो उनके द्वारा चलाए जाने भी अब भारत टिका हुआ है इसी वह सोच रहे हैं हम ही तो हैं और हमारे द्वारा जो सरकारें हैं वह करती रहे और हम देखते रहे और लोग ऐसे परेशान होते रहे तो मैं सरकार से यही कहूंगा कि सरकार की जो पूंजीपतियों वाली जो नियम लगा रही है जो उन्हें फायदा पहुंचा रही है तो ऐसा नौकर के किसान किसानों की मुसीबत ना बढ़ाएं नहीं तो घर किसान अगर मुंह मुसीबत बढ़ाना शुरू कर देना तो आने वाले समय में भुखमरी होने लगी इस गरीब जो भी लोग हैं जो भी आम पब्लिक है वह बहुत बुरी स्थिति से मारने लगेगी क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं रहेंगे कि वह अनाज खरीद पाए आज भी अगर देखा जाए भारत में बहुत ऐसे लोग हैं जिनके पास जमीन ही नहीं है कितने लोग तो भाड़े पर रहते हैं कितने लोगों के लिए बस घर गई थी जो है मतलब उनका घर ही उनकी खेती है उन्हें वही सब उनका संपत्ति है क्योंकि उनके पास जमीन ही नहीं है उनके पास कितना पैसा है कि वह जमीन खरीद पाए वह लोग कहां जाएंगे जो सस्ते अनाज का अपने जीवन चलाते हैं अपने बच्चों का घर चलाते हैं अपने पूरे परिवार का खर्च लाते हैं उड़ जाएंगे कहां तू अगर सरकार इस तरह के कुछ नियम लाए सरकार किसानों की मुसीबत तू ज्यादा बेस्ट रहेगा नहीं तो इस कृषि कानून बिल अगर जबरदस्ती पारित करेगी तो कहीं ना कहीं लोग मरने के कगार पर आ जाएंगे
गुड मॉर्निंग भारत के अनाज उगाने वाले किसान मुसीबत से जूझ रहे हैं ऐसा क्यों है ऐसा इसलिए है कि सरकार ने जो प्रसिद्ध लम्हे हैं उस बात से किसान को आपत्ति है लिखा है कि किसान सरकार के विरोध में और कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं
के अनाज उगाने वाले किसान मुसीबत से जूझ रहे हैं ऐसा क्यों नहीं पता नहीं क्या दुर्भाग्य है कि अन्नदाता होकर इतना बड़ा धरती के सीने को फाड़ कर के जो है अनाज उगाने वाला हमेशा भूखा रहता और अनस कोई इनके लिए कोई कानून है ना कुछ है आज भारत सरकार गहरी कि मैं तीन कानून प्ले करके आई हूं और बड़े-बड़े दावे करती है कि मैं इनके क्या हर महीने ₹2000 भेज रहा हूं कई हजार करोड़ का नारा भी लगाती है लेकिन हकीकत यह है कि जो सचमुच किसान है उनका तक पहुंच पा रहा है क्या मैंने आज बहुत जगह गड़बड़ी करीब से अध्ययन किया हुआ है उत्तर प्रदेश बिहार राजस्थान जो बड़े-बड़े महानगरों के किनारे हैं वह मंडियां हो गया रहे हैं वहां तो जो लोग जागरुक है कर पाते लेकिन इंटीरियर इलाका में अपना गेहूं धान चावल सही ढंग से देखी नहीं पाते जब उनकी फसलें तैयार हो जाती है तो बड़े-बड़े सहित बड़े-बड़े लोग वहां पहुंच जाते हैं तुरंत पैसा देख ले लेते हैं एमएसके अट्ठारह सौ होगा तो 12:00 सौ में करीब रहते हैं उनको मैं भी हम खरीद लेते हैं पैसे भी टाइम पर नहीं देते हैं और पता नहीं किधर कांट्रैक्ट फार्मिंग हो रही है किस साइड में हो रही मुझे खुद नहीं पता चला तो कहीं ना कहीं इनकी स्थिति देखी जब यह अपनी फसल का बीज लेने जाते हैं लाइनों में खड़े रहते हैं सही भी नहीं मिल पाती सारी चीजें मिल जाती हैं और भी चीजें हैं जो है उसको भी ठीक से नहीं मिल पाती है तो हम कह सकते हैं कि भाई कहीं न कहीं यह दुर्भाग्यपूर्ण पहलू है और शुरू से लेकर के आज तक के इस तरह से जो दुर्भाग्य को व्यवहार हो रहा है शायद बहुत है और मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ होने वाला है आगे भी जा कर के कोई सरकार की कोई नहीं थी या नहीं किसी भी तरह से नहीं इसलिए मैं समझता हूं कि अभी कोई स्थिति सुधरने वाली नहीं कितने भी आंदोलन कर लो कैसी भी कर लो मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ होने वाला है और कुछ सुधरने वाला है और निश्चित तौर पर आगे भगवान जाने की क्या हो गया किस तरह से होगा कि आने वाले समय में ही पता लेकिन किसी की सरकार की सही नीतियां नहीं है किसानों के लिए सही ढंग से उन नीतियों का पालन नहीं हो रहा है और निश्चित तौर पर युद्ध फाग
दोस्तों मौसम की मार किसान चेहरा है और काफी सारे ऐसे कानून भी आ रहे हैं जो किसानों को पसंद नहीं आ रहे हैं इस वजह से किसान मार्स है रहा है अगर आप लोग मेरे जवाब से सहमत हो तो लाइक के बटन को दबा दिए
भारत के अनाज उगाने वाले किसान मुसीबत से जूझ रहे हैं इसके कारण यह है कि आजकल नए कृषि कानून नियम बनाए गए हैं जो कि 3 नियमों से परेशान हो रहे हैं लोग इसीलिए किसान लोग धरने पर बैठे हुए हैं वह करना चाहता है कि या तो इनका भी कोई समाधान किया जाए या और कठोर नियम बना जाए जिससे कि मतलब उदाहरण पेश करता हूं कि जैसे कि सरकारी रेट तो लेता हूं 17 साल का गेम और प्राइवेट लेता लेता अट्ठारह ₹100 की सरकारी वाले तो गोदाम तो बंद हो जाएंगे लेकिन किसान जब लास्ट में बेचेगा प्राइवेट को तो जब प्राइवेट वाली मनचाही ना मेरे पैसे ले सकते हैं वह देंगे भाई हम तो 16 से निर्णय लेंगे हम 15 से मिलेंगे तब वह दाना खाने को अनाज देना ही पड़ेगा क्योंकि हम ज्यादा रखना सकते और बेचने के लिए तो हमने भी सो जाओ क्या इसलिए कि उसका भी कोई नियम होना चाहिए जहां उसकी डेट फिक्स रखी जाए उससे ज्यादा ना बीती जाए इसीलिए 1 किसानों का किया तो एक कानून वापस ले और या हमारे और नियम बनाओ
कुछ तो परेशानी है थोड़ी बहुत तो बिल्कुल लेकर जो दिक्कत बनी हुई है बाकी इतनी ज्यादा परेशानी नहीं है जितना कि किसान किसान जो है एक ऐसा होता है नेतृत्व जो होता है ना सब कुछ उस पर डिपेंड करता है और नेतृत्व में किसानों का वह ऐसे हाथों में है जो कि किसी भी बिना बात के किसानों को बकरा के आगे की पॉलिटिक्स खेल रहे हैं अपनी जिन्होंने भारत के टुकड़े होंगे कि किसान थोड़ी ना कभी राजनीति हो रही है
नमस्कार जैसा कि प्रश्न है भारत के अनाज उगाने वाले किसान मुसीबत से जूझ रहे हैं ऐसा क्यों मैं आपको बताना चाहता हूं कि 2 महीने की बात है जब पंजाब से किसान बातचीत करने के लिए दिल्ली की ओर अग्रसर कोई दिल्ली आते हुए उन्हें रोका गया और उनकी बातों को ना सुनकर उन्हें घोषित किया गया जिसके कारण आज वो आंदोलनरत हैं और बहुत बड़ी संख्या में दिल्ली की सभी बोलेरो पर एकत्रित होकर आंदोलन कर रहे हैं उनकी मांगे हैं उनकी मुक्ता जो मांगे हैं और दो अलग मांगो वह तीनों कानून को रद्द करने की उम्र के बाद और एमएसपी को ग्रंटेड बनाने की बात ही उनके मुख चंद्र होते हैं जिनके कारण वह आज आंदोलन कर रहे भारत का किसान सड़क पर है इतनी मुसीबत से जूझ रहा है बरसात थी वहां पर हो रही है ठंड का भी मौसम है तो किसी विकट परिस्थितियों में बैठा हुआ है अपनी मांगों को मानने के लिए नहीं वहां पर डटा हुआ है आज मैं आपको बताना चाहता हूं कि आज 7:00 से आज बैठकर किसानों की सरकारों के साथ हूं उसका कोई भी रिजल्ट अभी तक नहीं निकला सिर्फ दो छोटी मांगों को मानकर किसानों को लॉलीपॉप दिया गया जिससे कि किसान नाखुश हैं साथ बैठकों में कोई भी ऐसा कुछ भी निर्णय निकलकर सामने नहीं आया सिर्फ किसान नेताओं के द्वारा कही गई बात यह है कि सरकार उन्हें लॉलीपॉप दे रही है सरकार बार-बार यह अहसास करा रही है कि वह तीनों कानून सही है जबकि किसान नेताओं के द्वारा कहीं गए तथ्य उनके एग्जांपल किए हैं तीनों कानून किस तरह किसानों के लिए नुकसानदायक है और भारत के लिए बहुत खतरनाक तब जब वह मीटिंग में इस बात को रखते हैं तो सरकार के अधिकारी और सरकार के मंत्रियों के पास कोई भी जवाब नहीं होता बस जब वह मीटिंग से बाहर आते हैं तो सरकार के मंत्री और सरकार के नेता सरकारी कर्मचारी और सरकार किसकी सरकार है उन सरकार के कार्यकाल आप सभी को यह बताने लग जा रहे हैं किसान मूर्ख सिवा किसी और पार्टी के बहकावे में आ गए हैं तो सबसे बड़ी आज मुसीबत यही है कि सरकार किसानों के पक्ष में है सरकार किसानों की बातों को नजरअंदाज कर रही है क्योंकि वह अपनी पार्टी को मजबूत रखना चाहती है अपनी पार्टी की सरकार को बनाए रखना चाहती है और अपने आप को बहुत बड़ा बताना चाहती है धन्यवाद
भारत के अनाज उगाने वाले किसान मुसीबत से ढूंढ रहे हैं ऐसा क्यों क्योंकि हमारी स्टेट गवर्नमेंट के पीएम जाते हैं कि वह किसानों के हित की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन किसानों और उनके नेताओं में आपसी संबंधों के कारण कुछ ऐसे बिल पास किए गए हैं जो किसानों किसानों को 5:00 पर्सेंट उसमें लाभचंद पर्सेंट उनमें बहुत से कपड़े और स्टेट गवर्नमेंट को उनका फायदा होने के कारण वह किसानों अपने हक की लड़ाई का लड़ रहे हैं और इसीलिए किसानों को हर पल मुसीबत का सामना करना पड़ रही है फिर भी किसानों के प्रति से सरकार अभी ध्यान नहीं दे रही है वह कभी याद कर रही है कभी कलकारी बैठक वह हमेशा बैठक ऊपर बैठ कर रही है लेकिन वह प्रतिष्ठा से बैठक कर किसानों की बातों का नहीं कर रहे आज के बाद भी किसान जो अनाज उगाने वह सड़कों पर हो रहे तो कल अनाज की कमी होगी तो उनका जमादार भी देश के देश के हर नागरिक पर संकट आ जाएगा और इसके जमादार भारत के पीएम नरेंद्र मोदी माने जाएंगे
Kisan,Journalist,Marathi Writer, Social Worker,Political Leader.
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भारत के अनाज उगाने वाले किसान मुसीबत से जूझ रहे हैं ऐसा क्यों ऐसा इसलिए है कि किसानों ने अपनी प्रतिनिधि सही प्रतिनिधि कभी चुने नहीं उनको अपना मित्र कौन है और शत्रु कौन है इसकी पहचान नहीं है कोई आज तक वह एक संकुचित विचार में और एक्सएल में सोचता है और एक समूह के रूप में नहीं सोचता है चाहे वह किसानों का ही एक समय होती होना राष्ट्रवाद की बात तो बहुत दूर है और इसका एक प्रमुख कारण है कि 2 शिक्षा है वहां तक नहीं पहुंचे अभी तक जब तक वह पहुंचना चाहिए नहीं अब करैक्टर शिक्षा है वह निर्माण कहीं भी नहीं गई शिक्षक क्रम्बी पुनर्जीवन पुनर्जीवन बाद पुनर्जन्म आवाज अवतारवाद दे भगवान अंधविश्वास इस तरह के कई जो समाज को बिगाड़ने वाली चीजें होती है वह पढ़ाई में आती है इसके बहुत सारे उदाहरण पाठ्यक्रम के पुस्तकों में दिखाई देते हैं और विज्ञान को जानबूझकर उस तरीके से नहीं पढ़ाया गया उसके उसका प्रबोधन नहीं किया गया जिस तरह से करना चाहिए था अगर वह होता तो यहां का ज्यादातर सब मौसम आज जो है लोग जय हो जय हो ऑनलाइन हो जाते हैं उनका प्रबोधन हो जाता लेकिन प्रबोधन बिल्कुल नहीं हुआ है और इसके उल्टा परंपरागत रूप से जी आए हुए प्रथाएं हैं और जिनको वह धर्म कहते हैं रिंकू अध्यात्म कहते हैं 40 उचिया कर्मकांड सन उत्सव पौराणिक कथाएं चमत्कार ऐसी चीजें सिखाई सिखाई गई है पाठ्यक्रम में भी ऐसी ऐसी पार्ट होते हकीकत में होते जो छोटे बच्चे उनके दिमाग में ऐसी कथा है जब बढ़ जाती है तो उनको उनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं बन पाता है उनका देखो वादी दृष्टिकोण बन जाता है इसके कारण किसान पिछड़ गया भौतिक रूप से शिक्षा में कि कुछ किसान जो है वह पैसों से अमीर हो गए उनके पास पैसा है लेकिन इंफॉर्मेशन नहीं है और दुनिया पूर्व ही राज करता है जिसके पास ज्ञान हो उसी नियम से भारत में जिनके पास ज्ञान है उनके पास पैसा भी चला जाता है और दोनों मिलकर समाज पर राज करते हैं इसी सिलसिले में सानू किसानों के ऊपर यह मुसीबत आ गए और इस तरीके से अगर सोचा नहीं गया तो भी आगे जाकर या इसी और इनको कुछ चलने वाली जो ताकत है वह आउट शक्तिमान हो जाएगी और एक वक्त ऐसा आएगा कि सारी शक्तियों के पास होगी और किसान हो या जो श्रमिक वर्ग गरीब और गुलाम बन जाएगा उत्सव शुरू पालक होगा लेकिन गुलाम बन जाएगा जैसे अभी कामगारों को संगठन बनाने के लिए 300 और कम से कम चाहिए ऐसा एक कानून इसी कारण कंगारू का संगठन नहीं बनाया जा सकता तो इनकी इनका संगठन होना ही यहां पर रोक दिया गया क्विक गुलामगिरी की अवस्था गुलामों को भी यह तब तक पता नहीं चलता जब तक उसके खाने के मानदेय नहीं होते और गुलाम करने वाला गुलाम उनको कभी मरने मरने नहीं देता क्योंकि उसको काम के लिए है पूनम की जरूरत होती है तभी वह खुद भी जी सकता है विश्व आराम से धन्यवाद
साहित्यकार, समीक्षक, संपादक पूर्व अधिकारी विजिलेंस
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किसान हमारा अन्नदाता है देश में जब वह मेहनत करता तब देश के लोग रोटी खाते हैं लेकिन हमारे पूंजीपति की दलाली सरकार कर रही है किसानों की प्राप्त प्रॉब्लम को कोई नहीं समझ रहा है उनके समस्याओं कोई नहीं समझ रहा एक प्रकार से अनधिकृत और उनके उपज पर अनधिकृत कब्जा करके उसे व्यापार पूंजी पतियों को मतलब अनऑथराइज्ड पहुंचाने की कोशिश की जा रही है किसानों की समस्याओं को जब तक निराकरण नहीं किया जाएगा इसके भयावह हो सकती है सरकार को चाहिए किसानों कि दुख दर्द और परेशानियों को समझे वरना सारा देश किसानों के पक्ष में है और यह स्थित आगे चलकर के काफी भयावह हो सकती हो
क्या आपका प्रश्न ही कठिन समय में अपने दिमाग को कैसे शांत करें दिखी गहरी सांस लेने का अभ्यास करें यदि पी यह सुझाव आपको अजीब प्रतीत हो रहा होगा पर गहरी सांस लेने का अभ्यास आपके मस्तिष्क को शांत रखने में असर जनक रूप से कारगर है इनका प्रतिदिन अभ्यास करें और तनाव के समय में यह उसे कम करने में मदद करेगा अपने मुंह को बंद कर नाक से गहरी सांस लें
मार्केट के अंदर देखी आजकल ऐसे टीवी मौजूद है जिनके अंदर हम इंटरनेट का यूज कर सकते हैं यानी कि हम ऑनलाइन जो वेब सीरीज होती है मूवीस होती है वह देख सकते हैं और वही आने वाले 3000 सालों में जितने भी टीवी चैनल सोते हैं यह सारे लोग टीवी पर डाटा की मदद से ही देखा करेंगे यानी कि इंटरनेट की मदद से ही देखेगी और आपने यह भी देखा होगा कि जितने भी स्मार्टफोन होते हैं उनके अंदर जो टीवी चैनल सोते हैं यानी कि जो टीवी चैनल प्रोवाइडर सोते हैं उन्होंने अपने आप बना रखे हैं जिनकी मदद से हम उन सभी टीवी चैनल को एक्सेस कर सकते हैं तो देखिए तीन-चार सालों में मुझे लगता है कि ऐसा ऐप ईटीवी के लिए भी बना दिया जाएगा ताकि लोग ऑनलाइन ही अपनी टीवी के अंदर सभी चैनल को एक्सेस कर सके तो इसमें कोई शक नहीं है कि फ्यूचर के अंदर सभी चीजें इंटरनेट की मदद से ही कनेक्टेड होगी धन्यवाद
सवाल है क्या शास्त्रों के अनुसार गुरु को त्याग सकते हैं देखिए आचार्य चाणक्य नीति के अनुसार गुरु वही माना जाता है जो स्वयं में ज्ञान का सागर समेटे हुए हैं ऐसा गुरु जिनकी कथनी और करनी में अंतर हो अर्थात जो अपने शिष्यों को तो शिक्षा देते हो लेकिन वही सीख उनके आचरण में ना हो ऐसे गुरु का त्याग कर देने में ही आपकी भलाई है विद्या के अभाव में जी रहा व्यक्ति कभी भी अच्छा गुरु नहीं हो सकता है धन्यवाद
जी आप का सवाल है कि तांडव वेब सीरीज में के बारे में आपकी क्या राय है तो जो भी अभी वर्तमान में चर्चा में तांडव एब्सली चल रही है इसमें मेरे ख्याल से हिंदू देवी देवताओं का अपमान किया गया है और साथ ही ऐसे पूरी जनता पर इसका बुरा असर पड़ता है किसी भी धर्म के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए तो मेरे ख्याल से यह जो भी फिल्म बनी है वह गलत
सुनील कुमार चौधरी जी के माध्यम से यह अनुरोध इस प्रश्न आया है कि पहाड़ पर चढ़ते समय मनुष्य आगे की तरफ क्यों झुक जाता है पीछे तरफ क्यों नहीं छुपता देखिए आपने फिजिक्स से यानी बहुत तेजी से यह प्रार्थना किया है हम लोग पढ़ते हैं पहाड़ हो या सीढ़ी हो वहां भी हम आगे झुकते हैं और इसका मुख्य कारण है कि ग्रेविटेशनल फोर्स काम करता है जिसको हिंदी में गर्भवती औरत या केंद्र कहते हैं कि होता है कि आगे हम इसलिए झुकते हैं ताकि हमारा ग्रुप व केंद्र है और उनके पांव के बीच से होकर जो गुजरता है तथा जो अधिक संतुलन आती तो प्राप्त होता है इसे या नहीं आपको एक अस्तित्व प्राप्त होता है कि आप अपना बैलेंस बना रखे और हम सभी जानते हैं कि यह पृथ्वी जो है ग्रेविटेशनल फोर्स पर ही आधारित है यानी कोई भी चीज हम ऊपर फेंकते हैं तो नीचे आता है इसी प्रकार हम लोग गुरुत्वाकर्षण केंद्र के वजह से इस पृथ्वी पर बने हुए हैं नहीं तो हम ऊपर उड़ जाते और शायद ऐसा होता लेकिन इसके वजह से जो है हम लोग पृथ्वी पर बने हुए हैं यही मुख्य कारण है कि जब हम सभी पर या जो भी उचित स्थान होते हैं वहां चढ़ने के लिए हमें आगे के झोका करना होता है और पीसा की झुकी हुई मीनार इसी पर काम करता है जैसे आप देखे हो ना कि पीसा की झुकी मीनार जो है झुका हुआ रहता है तो उसके बीच बीच में ₹1 स्थाई के अंदर जो है काम करता है जिसकी वजह से वह गीता नहीं है जबकि झुका हुआ दिखाई देता है ठीक उसी प्रकार जो है शिर्डी या पहाड़ पर चढ़ते समय हमारे साथ ऐसा होता है मुझे लगता है कि आपके प्रश्नों के जवाब दे दिया है धन्यवाद
सिवान तो आज आप का सवाल है कि क्या पूजा करने के लिए भी कोई नियम होते हैं तो देख मेरे हिसाब से अगर आपको मतलब कभी कदार होता है क्यों देर से उठते हैं या फिर रात में कोई काम पड़ जाता है जिसकी वजह से नींद नहीं खुल पाती है तो ऐसा नहीं कि आपको सुबह 7:00 बजे से मेरे बहुत सारे दोस्त हैं क्या मतलब उनको अगर उसके मम्मी पापा अगर बोलते हैं की पूजा करनी चाहिए और वह लेट उठते हैं या फिर खेलने घूमने चले जाते तो ऐसा नहीं कि वह गलत समय पर नहीं कर पाते पूजा तो दोपहर में या फिर उसके बाद में करते कर ले तेरे हिसाब से अगर ऐसा कोई सलूशन कभी हो जाता है तो आप लेट ही कर सकते हैं लेकिन कुछ नहीं है मैं जैसे की चप्पल पहन कर रही क्योंकि एक तरह का डिस्टेंस वेक्टर और एक तरफ अच्छा चीज नहीं है क्योंकि जब भी हम किसी चीज को बहुत ही दिल से और अच्छे से मानते हैं तो वहां पर चप्पल और फिर ऐसे हंसना खिलखिलाना ध्यान के समय जानबूझकर ऐसे में जबरदस्त शीला है मन नहीं कर रहा है सब करके नहीं करना चाहिए सबसे इंपॉर्टेंट जो मुझे लगता है कि चप्पल पहन चली जाना चाहे तो यह कुछ नहीं है मेरा और टाइम का अगर आपके पास अगर टाइम में इधर-उधर हो जा रहा है तब भी खराब ध्यान करना चाहे पूजा करना चाहे तो जिस समय आपको इतना टाइम मिला आंख खुली उसमें भी आप कर सकते हैं
जब किसी की मृत्यु होती है तो उस कहते हैं पढ़ लो बासी हो गया है या दिवंगत हो गया है या स्वर्गवासी हो गया है या बैकुंठ लोक गया है क्या वह शुद्ध पहुंच गया है जब पंचतत्व में विलीन हो गया है कि विभिन्न प्रकार के शब्दों के अर्थ वही है और पशु पक्षी कहने से तात्पर्य होता है कि वह हिंदू धर्म में हमेशा मानते हैं कि सब कुछ भी मृत्यु होती है तो उसके लिए हम कहते हैं कि 10 वर्ग को किया है वह बैकुंठ लोक को गया है अर्थात भगवान के पास में जाना ही हमारा परमार्थ है हमारा हमारे जन का सार्थक प्रयास है और इसी को मोक्ष कहते हैं जब मानव आवागमन से मुक्त हो जाए तो वह मुक्त कहलाता है और यही जीवन के चौथे प्रशांत है जिसे हम धर्म अर्थ काम मोक्ष कहते हैं तो यह जो है जीवन का अंतिम और शाश्वत परम प्रशांत है
बिटिया दही शब्द की परिभाषा को याद करें और उसका उत्तर दें दहेज शब्द की परिभाषा यह है प्राचीन काल में जो दही दिया जाता था उसका कारण यह था कि बेटी वाला पसंद हो करके अपनी बेटी को नया जीवन जीने के लिए उसके रिश्तेदार उसके भाई बंधु और कुछ सेम जो कुछ देता था वही चलाता है लेकिन आज जो तुम देख रहे हो वह दहेज नहीं दहेज का भयंकर रूप है यह राक्षसी करते हैं आप किसी बेटी वाले को मजबूर करें कि वह 4000000 या 50 लाख दे अपनी जमीन जायदाद भेज दें क्योंकि उसे अपनी लड़की के लिए सुयोग्य वर ढूंढो क्योंकि उसे सुयोग्य पात्र चाहिए मैं आपसे सहमत हूं आप यह कह रहे हैं कि मैं भी पढ़ा लिखा और नौकरी वाला मत ढूंढ लेकिन एक बात बताइए बेटे क्या समाज में यदि हम बिना दहेज के नहीं जी सकते हैं आप दहेज के बल पर ही यह कह रहे हो आज किसी भी लड़के की नौकरी लग जाती तो उसके बाप की लॉटरी खुल जाती है वह अनाथ धूम धूम खोल करके मांगता है यदि पहले दहेज नहीं था तो क्या वह भोजन नहीं खाते थे लिखित संतोष बढ़ती चली गई है यह कहिए मान्यता मिल चुकी है क्या विवाह करने का मतलब यह है कि उस लड़की के पैर पक्ष को पूरी तरह से मिटा देना बर्बाद कर देना उसकी जमीन जायदाद बिकवा देना जो बेटी वाला और रिश्तेदार यदि खुशी से देते हैं जीवन जीने के लिए तो मैं सोच रहा हूं अनिश्चित नहीं है लेकिन किसी को बात भी किया जाए
कल पूछा गया है क्या भावना इंसान को कम सूट बनाते हैं तो देखिए एक के दो पहलू सकते हैं जो व्यक्ति भावना प्रधान व्यक्ति होता है वह अपने से पहले दूसरों का दुख महसूस कर लेता है वह बहुत जल्दी किसी भी चीज पर पिघल जाता है और उसके अलावा जो है जो इसको कमजोरी के तौर पर देखने का भी हो सकता है कि वो व्यक्ति भावना प्रधान होता है वह कमजोर होता है वह कभी अपने मतलब अपने हित का पहले नहीं सोच पाता तो यह आपके और हमारे देश के पहलुओं का जो है परिणाम है कि हमें कह सकते कि जो भावनाएं इंसान को कमजोर बनाती है कई लोग इसी भावना प्रधानता को बहुत बड़ा जो बोल सकते नहीं की विशेषता के तौर पर देखते हैं और कई लोग इसको कमजोरी के तौर पर देखते हैं और मेरा यह मानना है कि एक भावना प्रधान व्यक्ति होना बहुत जरूरी है जहां जैसे माहौल में हर कोई सिर्फ अपने बारे में सोच रहा है अपने अहम को अपनी ईगो को नोटिस कर रहा है अपनी रुको सेटिस्फाई करने के लिए लोगों को तकलीफ पहुंचा रहा है ऐसे में भावना प्रधान व्यक्ति से कई गुना ज्यादा बेहतर होता है उम्मीद करती हूं आपको मेरा जवाब पसंद आया होगा धन्यवाद
भारत के अनाज उगाने वाले किसान
भारत में अनाज का उत्पादन