एक ही परिवार के साथ बुढापा अच्छे से और शांति से कान काटने का मूल मंत्र है शांति से बैठे हैं जवाब वर्ध अवस्था में आ जाते हो तो आपकी विचार आपके थॉट्स और आपके द्वारा किए गए आपकी जिंदगी में जिंदगी के कार्य जो हैं युवा पीढ़ी के लिए आज की डिग्री किसी काम के नहीं होते तो पहले मैं यह कहूंगा कि बुढ़ापे के अंदर इंसान को बिल्कुल सही हो जाना चाहिए उसको जिस तरह से उसके बेटे हैं या बोलते हैं या उसकी बेटियां हैं जिस तरह से कहते हैं उसी हिसाब से काम करना चाहिए क्योंकि वर्तमान में घर से बाहर के जो कार्य है वह लोग करते हैं और घर से बाहर के कार्यों में उन्हें नई जनरेशन से सामना करना पड़ रहा है और नई जनरेशन से सामना करने के लिए उन्हें अलग तरह के डिसीजन लेने पढ़ रहे हो सकता है कि जब इंसान बुढ़ापा खुद जवानी में था तो उस समय परिस्थिति या कुछ और रही होंगी लेकिन अगर आज भी वही की वही परिस्थितियां रहे तो आज के जनेशन उसको मानने के लिए तैयार नहीं हो पाएगी क्योंकि उसके सामने पुलिस तुम्हें सबसे अच्छा और सबसे इंपोर्टेंट पॉइंट यही कहूंगा कि बुढ़ापे में आप बिल्कुल घर पर चलती रही बेटों के साथ तालमेल बिठा कर रखी है घर में जो अमाउंट आती है पैसा आता है जो चीज आप को संभाला जाता है उसको आप अच्छे से मतलब मैसेज कीजिए इसके अलावा जो मतलब घर की छोटी-छोटी बेसिक एमेनिटीज है बेसिक चीजें हैं उसको आप जितना मैनेज कर सकते हैं वह मेहनत कीजिए और बुढ़ापे में मैं एक को कम बाद इंसान को यह सुबह शाम जो है मतलब जब तक हो सकता है चलने की उसकी प्रतिक्रिया है या चलेगी जब तक है तब तक उसे योगा करना चाहिए बाहर जाना चाहिए दो-तीन घंटे जो है मतलब खेतों में बिताने चाहिए अगर आप शहर में रहते हो तो एक दो घंटा को पार्क में इधर से उधर उधर से उधर घूमना चाहिए ताकि आपका माइंड फ्रेश रहेगा आपको सोचने का कली पर जो है वह इंसान का बढ़ता जाता है जो मैंने कहा ऐसा कर रही है वह डिसीजन उसका मजबूत होता है क्योंकि परिस्थितियां अलग है दूसरा मैं यह कहूंगा कि बुढ़ापे में इंसान को जो है जितना ज्यादा वह एक्सरसाइज योगा पर छोटा-मोटा जो चीजें रखते हैं जहां पर भी उसको करना चाहिए इसके अलावा बेतुकी बातों के ऊपर किसी भी तरह का परिवार में इंटरफेयर नहीं करना चाहिए क्योंकि वह परिवार के महत्वपूर्ण सदस्य हैं लेकिन परिवार कई बार परेशान क्यों हो जाता है क्योंकि अन्य एसेसरी परेशान करते हैं दूसरा अननेसेसरी बातों को ठोकते हैं जो कि रिलेवेंट नहीं है किसी पर तुम्हें अपने प्रश्न पर कहा कि वे शांति से बुढ़ापे में हराया दूसरे परिवार को भी उनकी उनको सारी बातें बतानी चाहिए कि वह आज की प्रवृत्ति है सारी चाबी आप बिल्कुल सही हो अपने अकाउंट को बताना चाहिए कि आप बिल्कुल सही हो अपनी जगह हमारा सोसाइटी आसमा जो है एक्सेप्ट करने के लिए एग्री नहीं है थैंक यू
परिवार के साथ बुढ़ापा अच्छे से और शांति से काटने का मूल मंत्र बहुत बेहतर क्वेश्चन किया दोस्त आप अधिकतर परिवार में बड़ों का बुजुर्गों का उपेक्षा का शिकार हो जाते हैं हकीकत यह है कि हमारी एक्सपेक्टेशन आशाएं अपने परिवार की तरफ ज्यादा बढ़ जाती कहते हैं कि बुजुर्ग और बच्चे दोनों की इच्छाएं बच्चों जैसी हो जाती है और हंड्रेड परसेंट बुजुर्ग चाहते हैं कि उनका अटेंशन लोग ज्यादा दिन यानी कि कभी कबार जो आवे लोग उसके साथ बैठे बातें करें कुछ हेलो हाय करें इस उसको संतति और अब प्रश्न उठता है कि क्या परिवार का हर सदस्य आपके साथ मिलजुल कर के रहता है क्योंकि बहुत सारे लोग हैं चित्तौड़ पर पाएंगे कि दोनों भर के हस्बैंड वाइफ होते हैं या और छोटा परिवार होता है तो कहीं न कहीं परेशानियां होती है वह प्यार और वह अट्रैक्शन यानी डूब जाते हैं अटेंशन मिल नहीं पाता को सबसे पहले नंबर वन मन को शांत सुबह उठ करके जरूर चाहे कैसी भी परिस्थिति हो योगा या प्राणायाम जरूर करें कोई बेसिक सुसाइड करने की नहीं कर रहा हूं मॉर्निंग वॉक करें खाने पीने में जो भी कुछ मिलता है उसको प्यार से खा ले और आशा रखें अपने परिवार के साथ वह हमारे साथ लेकिन उनको कोई आर्डर नाते अगर आपको लगता है कि गलत कर रहे हैं निश्चित तौर पर अपने पास बैठा कर समझाया कि बेटा बेटी ऐसे होना चाहिए ज्यादा अच्छा ज्यादा आता है ना रखें कि वह हमें यह देंगे और जिंदगी भर जो कमाया है कुछ बचत आपके पास होना चाहिए पहला अपने स्वास्थ का भी ध्यान रखें मन को शांत करें धार्मिक किताबें हैं उसको पढ़ते रहे धार्मिक प्रवचन वगैरह बहुत सारे टीवी स्क्रीन पर चलते उसको देखते हैं अपने दिनचर्या को कभी स्तर ना हो यानी कि सुबह शाम जरूर योगा प्राणायाम करें शाम को बात करें घर तो हम भोजन को हल्का ले ताकि आपके पेट में गैस या ऐसी की मारी के शिकार ना हो कभी-कभी हम मानसिक तनाव और कई बस्तियों में हो जाते हैं क्योंकि हमें वह प्यार नहीं मिलता है हम जो एक्सपेक्ट करते हैं कभी हम भी सोचते हैं यार हमने अपने मां-बाप बच्चों को पैदा किया उनको पढ़ा लिखा यह सब लेकिन वह मेरी ध्यान नहीं दे रखो इतना प्यार मिलता उसमें संतुष्ट करो क्योंकि बड़ी आशाएं हमारी बढ़ जाती है तो मैं यही कहूंगा कि आप अपनी दिनचर्या को नियमित करें ज्यादा अशक्त ना करें अपनी जो भी बचत है उसको अपने पास रखते हैं खाने-पीने का ध्यान रखें ज्यादा तली हुई चीजें वगैरह ना लें अगर किसी बीमारी से ग्रसित है तो उसका सही डायग्नोज करें और न तो थोड़ा देखेंगे आपका मन शांति से कट जाए धार्मिक किताबें धार्मिक प्रवचन धार्मिक आयोजन आस पास होता है उसमें जाएं मिलजुलकर के बदले हंसी मुस्कुराए और सब के साथ अपने छोटे बच्चे होंगे पोता पोती होंगे और भी लोग होंगे उनके साथ मिलकर चले अभी ठीक रहेगी दिन भी खुश रहेगा और पूरी निद्रा जरूरी काम हो जाए मौसम के अनुसार अपने कपड़े पहने हुए ध्यान रखें सर्दी का अभ्यास सपने ध्यान रखें ताकि अपने स्वास्थ्य को बनाए रखें और देख सब कुछ
मुझे लगता है आपने मेरे सवाल पूछा है कि परिवार के साथ सुख शांति से रहने का मूल मंत्र क्या है इसका जवाब में पहले दे चुका हूं और शायद आपने नहीं पूछा होगा किसी और में कुछ भी होंगे पर शायद नहीं इसका जवाब दे चुका हूं और आपको ही बताना चाहूंगा कि जी परिवार के साथ बुढ़ापा अच्छे से गुजारना है तो वह हमारे ऊपर नहीं रहेंगे हम हमारे वह बच्चे और नाती पोते के ऊपर निर्भर करता है कि वह कैसे हैं अगर हम उन्हें बचपन से अच्छे संस्कार देंगे तो वह हमारे बच्चे और करेंगे अच्छे से रहेंगे और हमारी जिंदगी सुरक्षित कर जाएगी परिवार के साथ अगर खुश रहना है तो सभी को एक दूसरे को समझ कर आगे चलना पड़ता है नहीं साथ सबको साथ लेकर आगे बढ़ना होता है ऐसा नहीं होता कि मैं आगे बढ़ जाऊं यह आ जाएंगे बाद में सब कुछ साथ में देना होता है शायद मैं ज्यादा कुछ नहीं कह पाऊंगा और धन्यवाद
परिवार के साथ बुढ़ापा अच्छे से और शांति से काटने का मूल मंत्र क्या है तो देखिए दोस्तों परिवार के साथ बुढ़ापा और अच्छे से और शांति से काटने का मूलमंत्र यही है कि आप शुरुआत से ही अच्छे बनके चले कि आपके परिवार के अंदर आपके समाज के अंदर आपकी कोई बुराई ना कर सके तो आपको परिवार से भी इज्जत मिलेगी और समाजसेवी यदि फ्यूचर में एयरटेल के दौर में चल रहे हैं और कोई आपको दो तने ना सुना पाए और सुनाता है तो आपका समाज जो है आपका जो सोसाइटी जो है आप पार्टी तो आप किस चीज को लेकर मदद कर सके तो परिवार के साथ शुरुआत से ही प्लानिंग कर कर ले कि हमें किस तरीके से रहना है और हमें समाज में क्या इज्जत लेनी है जिससे हमारे बुढ़ापे के अंदर हमें कोई दुख ना हो धन्यवाद
दोस्तों क्वेश्चन पूछा गया है कि परिवार के साथ बुढापा अच्छे से और शांति से काटने का मूल मंत्र क्या है टेस्ट का आंसर है परिवार के साथ बुढापा अच्छे से काटे परिवार से ही बोलचाल अच्छा व्यवहार रखना चाहिए और गुस्सा नहीं करना चाहिए अपने बेटे बेटियों पर और बेटे बेटियों को अच्छी शिक्षा देने चाहिए अच्छा ज्ञान देना चाहिए केवल स्कूली ज्ञानी नहीं बाकी अपना तो समाज में जो भी ज्ञान मिलता है समाज में घटे भूतों के बाद उसको बिठाना चाहिए बेटा बेटियों को जिससे बेटे बेटियों को पता चले कि क्या जीवन है क्या अपने माता-पिता ने किया क्या नहीं किया और बुजुर्गों के पास बैठने से बहुत ही ज्ञान मिलता है और बेटा बेटी को शिक्षा दें जिससे कि आपका मोटापा अच्छा हो और आपके बेटा-बेटी में अंतर नहीं रखना चाहिए क्योंकि बेटा-बेटी में अंतर रखते हैं तो आपको परेशानी आ सकती है क्योंकि बेटी तो विवाह कर दिया जाता है लोग पराई समझते हैं लेकिन वह पर आए तो फिर आपके बेटा कि वह भी तो आती है ना तो वह ऐसी सोच नहीं रखनी चाहिए बेटा बेटियों को दोनों को सम्मान देना चाहिए अगर आप सम्मान दोगी तो आपको सम्मान देंगे और आपके किसी प्रकार से लड़ाई झगड़े नहीं होंगे और बुढ़ापा अच्छी तरीके से सेवा करेंगे
Kisan,Journalist,Marathi Writer, Social Worker,Political Leader.
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परिवार के साथ बुढ़ापे से अच्छे से बुढ़ापा और शांति से काटने का मूल मंत्र क्या है वैसे तो ऊपर ही बहुत सारे हैं तरीके लेकिन मूल मंत्र यह है कि हमें अपने जवानी में हमारे बुलबुला बूढ़ा बूढ़ा बुढ़ापे का इंतजाम भी करके रखना चाहिए और जो लोग नहीं करते हैं वह बाद में प्रॉब्लम में आ जाते हैं तो अपनी जवानी के काल में और अपना जो श्रम है उसका उपयोग कर कर अपनी संपत्ति कम-से-कम बुढ़ापे में भी उपयोगी पड़े इसके लिए कुछ सरकारी योजनाएं रहती है बीमा योजना रहती है अलग-अलग कंपनियों की टेंशन निर्धारित सरकर की भी कुछ पेंशन योजना रहती है तो ऐसी चीजों में इन्वेस्टमेंट करना चाहिए अभी आ अटल जी पेंशन योजना का एक यहां पर भारत में चल रही है उसको लोग जो है वह उसमें शामिल हो रहे हैं तो इस योजनाओं को अच्छी तरह से समझ कर अपनी भविष्य की तरतीब करनी देनी चाहिए दूसरा एक मूल मंत्र मैं यहां पर बता देना चाहूंगा कि एक उम्र के बाद बाद जैसे सरकार भी रिटायर करती है कर देती है वैसे जब हमारे बच्चे बच्चे और उनके भी बच्चे बच्चियां हो जाती है तो लगभग 60 की उम्र के बाद संसद की जो चीजें हैं उसमें से उसमें हस्तक्षेप करना नहीं चाहिए उनकी तरफ ध्यान भी नहीं देना चाहिए जो भी कुछ है वह अधिकार अपने जो बेटे होते हैं आओ मूवी होती है उनके पास देखकर एक संस्था का जीवन या पुरानी साल में जिसे वानप्रस्थाश्रम क्या संयास आश्रम कहते हैं वह जंगल में जाकर करने की जरूरत नहीं है लेकिन एक मूर्ति जो है उसको उस तरह की वह अपने आप में डेवलप करके कैसे डेवलप की जाती है वह शब्दों में बताने वाले गलत है गुरु है तो अपना जीवन में वह बदलाव लाना जरूरी है और वह उस उम्र के बाद भी हम अगर बेटे और बहू के संसार में हस्तक्षेप करते हैं तो वहीं पर झगड़े शुरू हो जाते हैं तो जी जिस तरह हमारा तरुण का समय था और हम जिस पर सितम से गुजर रहे थे उसी मानसिकता में हमारे बच्चे वह भी होती है तो उनको जरा समझ लेना चाहिए उनको थोड़ा सा तंत्र भी जाना चाहिए तो आगे आने वाली नोबत नहीं आती है और बेटे लव हुए उनको भी अच्छा लगता है वह अपने ससुर और सास की बहू प्रशंसा करते हैं और उनका ख्याल भी रखते हैं ऐसे भी उदाहरण है और इसके विपरीत भी हो जाए इसलिए और दूसरी एक चीज है कि शांतिपारा सभी पाई जाती है जब हम वह भी कर से हटते हैं उनको छोड़ दे जो भी हमारी मां हमारे मुंह है उनको एक टप्पे पर जरूर छोड़ देना चाहिए नहीं तो जिंदा जिंदा है इंसान जो है वह जिंदगी जी ही नहीं सकता मतलब अर्थपूर्ण जिंदगी नहीं जी सकता क्योंकि इसकी भाई इसकी 20 भाग दौड़ में ही उसका समय जाता है और बाद में उसको वह पछताता है कि मैं मैंने इतना सब कुछ कमाए लेकिन जिंदा है जिंदगी जीने का ही रह गया और जिंदगी जीने के लिए जीने का मतलब उसमें महत्वपूर्ण चीज है कि शांति उसमें उसको मिले शांति के लिए एक संसार करने के बाद भी हुआ कर एक बैरागी की वैराग्य की बात जो है वह अवस्था है वह हमें निर्माण होनी चाहिए ज्ञान बुक के बाद लेकिन होता नहीं है इसलिए क्योंकि वह मोह माया जो है वह सब उसको झगड़े हुए हैं तो वह छोड़ देनी चाहिए यह मूल मंत्र मंत्र ऐसा मुझे लगता है अगर आपको मेरा जवाब सही लगा तो इसे लाइक भी करें धन्यवाद
अपने परिवार के साथ बुढ़ापा अच्छे से और शांति से काटने का मूल मंत्र क्या है देखे थे वह है हमारा फैमिली हम घर के जो मुर्गुमा मुख्य मुरली है जो हमारे पिता हो या उनके पापा हो वह घर को कि से एकजुट बनाकर रखे वही नियम वही श्रृंखला सब अपने परिवार को प्यार से बात कर रखता है इसलिए अगर बच्चों को छुट्टी की उम्र से ही आप पर खड़ा व्यवहार सब सिखाएंगे तो बच्चा आगे जाकर वही आपके रूल को फॉलो करेंगे
नमस्कार दोस्तों आप का प्रेस में है परिवार के साथ गुडा अच्छे से और शांति से काटने का मूल मंत्र क्या है तो दोस्तों इसका मूल मंत्र काटने का यही एक मूल मंत्र नहीं सॉरी शांति से जीवनयापन करने का मूलमंत्र यही है कि जमाने के साथ चलो सबसे बड़ा मुर्ख मंत्री यह है यानी कि जो वर्तमान समय अभी चल रहा है जो मॉडल जमाना अभी चल रहा है तो मैं तो उससे ज्यादा अधिक बैकवर्ड में चलो यार इन्हें तो देख पीछे चलो कि कई लोग होते हैं कि पुरानी बातें को अभी तक घसीटते रहते हैं कि बच्चे मानते नहीं है छोटे होते हैं बड़े हो युवा हो लेकिन वह मानते नहीं हैं और उसको अच्छा भी नहीं लगता है आज के जमाने के अनुसार और कुछ बूढ़े बाबा पैसे होते हैं कि वह बहुत ही ज्यादा एडवांस होते हैं बहुत ज्यादा बच्चों से भी आगे निकल जाते हैं जमाने से भी आगे निकल जाते हैं तू भी अच्छी बात नहीं होती है यानी कि जैसा आपके घर में एक नए जीवन के अनुसार जैसा कुछ चल रहा है जो बच्चे कर रहे हैं उसको चलने थे उसी की खुशी में अपनी खुशी माने वह जैसा कुछ कर रहे हैं वह सब कुछ अच्छा ही कर रहे हैं तो इसलिए उसकी खुशी में शामिल हो जाएं और निश्चिंत होकर के और उसके साथ जीने का प्रयत्न करें वैसे तो श्री कृष्ण ने गीता में यह कहा है गीता सार में कि क्या कहा है जो कुछ तेरे साथ हो रहा है वह अच्छा हो रहा है जो कुछ होगा वह अच्छा ही होगा और जो हुआ था वह अच्छा ही हुआ था क्या लेकर आया था क्या लेकर जाएगा खाली हाथ आया था खाली हाथ जाएगा इस प्रकार से कुछ लाइनें गीता सार कृष्ण भगवान ने जो गई थी वह कितनी अच्छी है ऐसी सोच ऐसे विचार हमारे मन में रखते हुए और जीवन यापन कीजिए जो है उसमें संतोष रखिए यही बुढ़ापे के साथ अपने परिवार के साथ जिले का सबसे अच्छा मूल मंत्र है कि जैसा चल रहा है वैसा चलने दे क्योंकि आज का जमाना जो है वही टेक्नोलॉजी का जमाना है और खुश रहते हुए ओर से कुछ आप भी सीखिए लड़की जो पूरे मां-बाप होते हैं उनको भी कुछ सीखने का मौका मिलना चाहिए जमाने के साथ चलने का तो ऐसे ही मिलजुलकर काम हो सकता है धन्यवाद
परिवार के साथ बुढापा अच्छे से हो शांति से काटने का मूलमंत्र यही है कि हमेशा परिवार के साथ में तालमेल और बनाए रखें बुढ़ापे लोग अच्छे कर्म करेंगे अपने सभी परिवार के हर कार्य के प्रति सजगता और उनके हर कार्य में अपना योगदान देंगे तो उनका जीवन एक सक्रियता और उनकी दिनचर्या वह विभिन्न प्रकार की ऋतु के अनुसार उनकी समस्याओं का समाधान होता जाएगा लेकिन अक्सर बुढ़ापे में हर व्यक्ति को गुस्सा और विभिन्न प्रकार के नारी नहीं करने के कारण उनमें हमेशा उसे और गुस्सा ज्यादा ही आता है इसीलिए उन व्यक्तियों को बुढ़ापे में हमारे साथ अपने ईर्ष्या और कार्य के प्रति नहीं होने की बजाय उन्हें हमेशा रहता रखने की करना चाहिए जनता के साथ में जो व्यक्ति अपना कार्य करेगा वह अपने बुढ़ापे और हमेशा संस्थान के साथ में सतीश भाई और क्वालीफाई रहेगा हमेशा व्यक्ति को बुढ़ापे में अक्सर भगवान के साथ संसारी कार्यों में हस्तक्षेप कम करना चाहिए और भगवान के कार्यों में हमेशा 80% अपना योगदान देना चाहिए जैसे जैसे उम्र उनकी गति जाती है उसी प्रति हमेशा बुढ़ापे की ओर अग्रसर होने पर व्यक्ति अपने नाम को और भगवान के प्रति ज्यादा ही सक्रिय होना चाहिए
के साथ बड़ा पर अच्छे से हो शांति से काटने का मुंह बंद किया जाए यह आपका प्रधान पर भी डिपेंड करता है कि अगर आप बताएं कि आपका अच्छे से डिपार्टमेंट अच्छे से कर रहे हैं अपने बच्चों के साथ अच्छे से बीएफ कर रहे हैं सबको अच्छे तरीके से लेकर चल रहे हैं जैसे आप करते हैं वैसे ही आगे होता जैसा दोगे वैसे ही पाओगे वाली स्थिति किसी किसी कंडीशन में आप कितना भी अच्छा कर ले आपके साथ परेशानी हो सकती है बाकी के बहुत से लोगों के कैसे चेक करते रहते हर चीज के लिए गुस्सा करना है या नहीं है अब हमें अच्छे से अच्छे से रहना तो अच्छी तरह से बच्चों की बात माने हो सकता है बहुत पैसा होता कि नहीं हमें शुरू से हम ऐसे रहे थोड़ा देखिए हर चीज हर टाइम के साथ ऐसा नहीं हम बचपन से बचपन के बाद बढ़े हुए उसने अपने बहुत से कम पर मैसेज करें थोड़ा प्यार है थोड़े थोड़े बहुत अच्छे
साहित्यकार, समीक्षक, संपादक पूर्व अधिकारी विजिलेंस
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अगर परिवार मैं आपको बुढ़ापा कायदे से करता है तो आप अपने में मस्त रहिए कौन कहां जा रहा है किसी को दिशा निर्देश देने की जरूरत नहीं है किसी के कार्य में दखल देने की जरूरत नहीं है अपना पैसा अपने पास रखिए अपने जीते जी अपनी संपत्ति अपने लड़के और बहनों के नाम मत कीजिए अपने दवाओं की व्यवस्था स्वयं कीजिए किसी पर आश्रित ना रहिए अपनी पेंशन का पैसा होता है खर्च कीजिए किसी पर भरोसा मत कीजिए सबसे प्रेम और उसने बराबर कर दीजिए अगर घर में 32 है तो तीनों के लिए बराबर से कपड़े लाई है दस रोते हैं तो दसों के लिए बराबर साहब कार्य कीजिए तभी आपका सम्मान दे रहेगा और आप किसी पर आश्रित नहीं रहेंगे आप सोते घूमने जाइए छोटे घर के कुछ न कुछ छोटे-मोटे काम आप करते रहिए तो किसी भी तरह की बोरियत कि नहीं होगी और सब लोगों के मन में सम्मान बना रहेगा
परिवार के साथ बुढ़ापे से अच्छा और शांति से काटने का मूल मंत्र है माता पिता की सेवा अर्थात हम माता-पिता की सेवा करें छाती अपने कर्म करें या अपने कोई भी काम करें तो हमें ज्ञानवती अनुभूति होती है
हेलो दोस्तों स्वागत है आपका दोस्त आपका सवाल है परिवार के साथ बड़ा अपाचे से और शांति से कटने का मूल मंत्र क्या है दोस्तों आपको अपने परिवार के साथ बट आप अच्छे से करना है तो आप चुप रहे ज्यादा ना बोले अपने बच्चों के साथ कुछ नहीं और उनकी हां में हां मिला है और जो मैं समाना है उसके साथ जीना सीखें आप हर बात में अपनी टांग ना हटाए हर बात में अपनी राय ना दे हर बात में टोका टाकी ना करें आपको जो मिल जाए थैंक सिखाएं और ईश्वर की आराधना करें और सबसे प्यार से रहे तो देश तो आपको जो अच्छी लगे तो प्लीज लाइक करें धन्यवाद
परिवार के साथ बुढ़ापा 684 काटने का मूल मंत्र क्या है लेकिन मैं तो यही तो बुढ़ापा आने तक आप अपनी इंद्रियों पर अपनी अभिव्यक्त पर अंकुश रखने से यह प्रार्थना करेंगे आपको स्वस्थ रखे समझे आपने और आपको ज्यादा संवेदनशील ना बनाएं हर किसी के साथ मेलजोल सराहना शांति से बोलना और अधिक से अधिक समय अपना एक काम तुम्हें उंगली डालने पूजा पाठ में बिताना और किसी के काम में बाधा ना बनने पाठक नमन में पहला तो यह दूसरा यह है कि अपने पर जवाब हम खुश रखें सब जाता तो ज्यादा अच्छा रहेगा साथ ही बुढ़ापा आने से पहले अगर आप अपने लिए कुछ राशि बचा कर के रख ले जिससे आपका खर्चा चलता रहे तो परिवार में आपकी इज्जत बनी रहेगी आप जैसे जैसे परिवार पर निर्भर करेंगे अपने बच्चों पर यह परिजनों फागुन को लगेगा क्या आप खानपान के लिए उन पर निर्भर है सब्जी आपने या फिर आप उनके मामलों में दखल दे रहे हैं सभी आपने किसी की पक्षधर था करें किसी का विरोध कर रहे हैं तो आप की भाषा जो है थोड़ी तिलमिला हट भरी है आप की गतिविधियां कुछ गलत सी है भले ही आप अपनी जगह सही हो लेकिन यह देख कर के चले कि नई पीढ़ी के बच्चे क्या पसंद करते हैं तो उसके अनुसार आप चलेंगे तो आप सुख और शांति के साथ अपना बुढ़ापा काट सकते हैं वह मेरा तो आ रही है कि बुढ़ापा आ रहा हूं उससे पहले ही कोशिश करें कम से कम आज पैसे की दुनिया है तो आप इतना तो अपने को निर्भर आत्मनिर्भर बना ही लिया जहां संभव हो आप किसी दूसरे पर बाहर न बने समझे अपना और अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने की कोशिश करें जिसमें हैं दूसरे भले इंटरफेयर करने उसे फोन कर ले लेकिन आप किसी की जिंदगी में एक सीमा तक इंटरफेयर करने की कोशिश करें तो ज्यादा अच्छा बताइए
Parivaar ke saath budhaapa 684 kaatane ka mool mantr kya hai lekin main to yahee to budhaapa aane tak aap apanee indriyon par apanee abhivyakt par ankush rakhane se yah praarthana karenge aapako svasth rakhe samajhe aapane aur aapako jyaada sanvedanasheel na banaen har kisee ke saath melajol saraahana shaanti se bolana aur adhik se adhik samay apana ek kaam tumhen ungalee daalane pooja paath mein bitaana aur kisee ke kaam mein baadha na banane paathak naman mein pahala to yah doosara yah hai ki apane par javaab ham khush rakhen sab jaata to jyaada achchha rahega saath hee budhaapa aane se pahale agar aap apane lie kuchh raashi bacha kar ke rakh le jisase aapaka kharcha chalata rahe to parivaar mein aapakee ijjat banee rahegee aap jaise jaise parivaar par nirbhar karenge apane bachchon par yah parijanon phaagun ko lagega kya aap khaanapaan ke lie un par nirbhar hai sabjee aapane ya phir aap unake maamalon mein dakhal de rahe hain sabhee aapane kisee kee pakshadhar tha karen kisee ka virodh kar rahe hain to aap kee bhaasha jo hai thodee tilamila hat bharee hai aap kee gatividhiyaan kuchh galat see hai bhale hee aap apanee jagah sahee ho lekin yah dekh kar ke chale ki naee peedhee ke bachche kya pasand karate hain to usake anusaar aap chalenge to aap sukh aur shaanti ke saath apana budhaapa kaat sakate hain vah mera to aa rahee hai ki budhaapa aa raha hoon usase pahale hee koshish karen kam se kam aaj paise kee duniya hai to aap itana to apane ko nirbhar aatmanirbhar bana hee liya jahaan sambhav ho aap kisee doosare par baahar na bane samajhe apana aur apanee jindagee apane tareeke se jeene kee koshish karen jisamen hain doosare bhale intarapheyar karane use phon kar le lekin aap kisee kee jindagee mein ek seema tak intarapheyar karane kee koshish karen to jyaada achchha bataie