एक पिता के अपराध की सजा उसके पुत्र और पौत्र को भी मिलनी चाहिए बिल्कुल नहीं दोस्तों ऐसा नहीं होना चाहिए जिसमें 3 अपराध के वही उसके अंदर भागीदारी है और उसको साथ किसी व्यक्ति ने दिया है धोखा दिया उनको सजा मिलनी चाहिए उसके पुत्र पुत्र को बिल्कुल भी नहीं यदि हां आप उत्तर कोरिया में चले जाएंगे तो यदि किसी व्यक्ति ने अपराध किया है तो उसके बेटे को भी और उसके पोते को भी जाए सजा भुगतनी पड़ सकती है परंतु यदि मानवता के आधार पर देखें तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए किसी भी व्यक्ति अपराध करता है तो उसकी सजा उसके पुत्र जो पोते होता है उसको बिल्कुल भी नहीं मिलनी चाहिए अपराधी को सजा मिलनी चाहिए अपराध में सहयोग करने वाले व्यक्ति को भी और यही दोस्तों मानवता का धन्यवाद
हेलो शिवांशु आज आप का सवाल है कि क्या पिता के अपराध की सजा उसके पुत्र और पौत्र को भी मिलना चाहिए अगर कोई भी अपराध करता है तो हमारे गांव के हिसाब से उसे ही मिलता है अगर वह मतलब छोटा है 18 साल से उसकी कम उम्र है तो उसे रखा जाता है उसे ट्रेनिंग ऐसा टाइप का जहां पर सिखाया समझाया जाता है सनी कि उनका सजा रुप दिया जा तारा गुरु छोटा है तो उनके मम्मी-पापा भाई बहन को दिया जाता है ऐसा बिल्कुल भी यह हमारे लोग भी नहीं है तो मेरे हिसाब से अगर कोई अपराधी और गलती हुई है तो उनकी फैमिली को या फिर किसी और को नहीं मिलना चाहिए क्योंकि अक्सर जिसकी गलती होती है वहीं सजा भुगतना है लेकिन कहीं ना कहीं परिवार पर भी इसका असर देखने के लिए मिलता लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि आप पिता ने यह गलती किया तब उसके बेटे को मिलना चाहिए ऐसा बिल्कुल भी नहीं क्योंकि उसका बेटा और बेटी जो भी फैमिली खेलोगे वह इस चीज से पूरी नहीं पता था कि उनके पापा क्या करें क्या नहीं कर रहे तो सर अगर आपको कुछ पता चला है कि उनके पापा ने कुछ अपराध किया है और या फिर वह पकड़े गए हैं जिस चीज में तो फिर कैसे हम मतलब किसी की गलती की है और उनके बच्चे को मैसेज दे सकता है मेरे हिसाब से यह सही नहीं है पूरे परिवार को पड़ता है लेकिन मेरे सबसे जिससे अपराध किया है उसे ही सजा मिलनी चाहिए हम साथ रह सकते गुरु इंसान गलत है तो हम मतलब लड़ सकते हैं उसके लिए और फिर सपोर्ट सिस्टम बन के रह सकते इसके अलावा अगर सच में उसने अपराध किया है तो हमारे हाथ में कुछ भी नहीं होता है परिवार के हाथ में कुछ भी नहीं होता है और लौट के सबसे परिवार बच्चों को भी सजा नहीं मिलेगी नहीं मिलती है और अपनी मिलेगी जो सजा किया है और यह हमें अपॉर्चुनिटी दिया जाता है कि हां अगर हम गलत या फिर सही साबित कर पाए तो करता है
मुंबई का कदम सबका मेरी बोल कर एक प्रोफाइल पर और आप सुन रहे रोहित राठौर को तो कुछ नहीं यार अगर आप किसी कोई भी व्यक्ति गलती करता है तो क्या उसकी सजा उसके आने वाली पीढ़ियों को भी मिलनी चाहिए कि उसके बेटे या फिर उसके पोते इन सब को भी उसी की सजा मिलनी चाहिए तो नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है क्योंकि जनरेशन जनरेशन गैप भी होते हैं और उन्हें अलग समझ होती है हर व्यक्ति का अपना एक अलग व्यवहार होता है अगर आप एक व्यक्ति की सजा उसके जन पगली जनरेशन या फिर उसके किसी मित्र या किसी को भी दोगे तो यह किसी भी प्रकार से सहायक नहीं होगी बल्कि यह हमारी समाज में एक नेगेटिव एक का मतलब नकारात्मक की एक छवि बनेगी इसे हमेशा नहीं करना चाहिए जो ऐसी गलती करना है उसे सुधारने का मौका दे पर उस पर कभी दोबारा विश्वास ना करें धन्यवाद महोदय आप से अगले साल में इस तकनीक के
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नमस्कार क्या पिता के अपराध की सजा उसके पुत्र और पुत्र को भी मिलनी चाहिए जी नहीं बिल्कुल भी नहीं मिलनी चाहिए जब पिता ने अपराध किया तो उसके पुत्र को क्यों सजा मिले पत्र को सजा क्यों मिली पिता के अपराध में पुत्र ने सहयोग किया है चाहे वह शारीरिक रूप से मानसिक रूप से उसका सपोर्ट किया है तो सजा मिल सकते लेकिन जब पुत्र को पता ही नहीं है ना उसके पुत्र को पता है अपराध के बारे में तो उसे सजा देने का कोई औचित्य नहीं
हेलो फ्रेंड स्वागत है आपका क्या पिता के अपराध की सजा उसके पुत्र और पुत्र को भी मिलने चाहिए जी नहीं ऐसा नहीं होना चाहिए पिता ने जो अपराध किया है उसकी सजा उसको मिलना चाहिए ना कि उसके पुत्र और पौत्र को मिलना चाहिए इस व्यक्ति ने अपराध किया है रजा उसी को मिलनी चाहिए उसकी किसी रिश्तेदार बच्चे को बेटे को नाती को यह सजा नहीं मिलनी चाहिए यह सब गलत है अगर कोई गलत काम किया है तो वह सजा उसको मिलनी चाहिए धन्यवाद
नमस्कार दोस्तों प्रश्न है क्या पिता के अपराध की सजा उसके पुत्र और पौत्र को भी मिलनी चाहिए तो दोस्तों बिल्कुल नहीं मिलनी चाहिए एक व्यक्ति ने कोई गलत कार्य किया है तो ऐसा नहीं है कि उसका पुत्र भी ऐसा ही गलत कार्य कराया और जो उसका दंड का पात्र है या पत्र प्राप्त का पात्र है यह बिल्कुल सरासर गलत है जो उसका पुत्र है क्या पुत्र है पृथ्वी पर अलग से उस ने जन्म लिया है प्रकार से उसका पिता से इसका कोई संबंध नहीं है एक प्रकार से उसके जो पिता ने किया होगा ना ही उसका भागीदार है तो इसलिए कई लोग ऐसा होता है कि पुश्तैनी लड़ाई चलती रहती है जो कि एक गलत है कई बार मैंने देख देखने में आया है कि आगे पुत्र और पौत्र का स्वभाव इतना अच्छा होता है तो नया रिश्ता भी जोड़ लेते हैं लेकिन कई लोग हमें आंखें लड़ाई झगड़ा करते रहते हैं थोड़ी चलाते रहते हैं कि भाई उसके पिता ने ऐसा किया वैसा किया उनको भूल जाना चाहिए जो आपका रंजिश थी वह पिता से थी ना कि उनके पुत्र पुत्र से और खराब रंजीत लेते हैं तो आपको एक बात पूछना पड़ेगा क्या उनकी क्या गलती है जो मैंने जन्म लिया है उनके घर में पुत्र या पुत्री के रूप में धन्यवाद
तू ही काफी अच्छा सवाल है क्या पता कि अपराध की सजा उसके पुत्रों व उत्तर को भी मिलनी चाहिए जवाब देने से पहले सोचना चाहिए कि अगर पिता की जायदाद है कोई बहुत ज्यादा जमीन है तो वह जमीन भी उनके बच्चों की जाती है उस व्यक्ति के बच्चों को जरूर बच्चे बच्चों को अगर दुनिया में बच्चों को मिलना चाहिए अगर कोई पॉजिटिव मेरा मानना है अगर कोई भी पता होगा उसका हाथ में कुछ बात होगी पर कंट्रोल होगा तो यही कोशिश करेगा कि वह अपने बच्चों को बेहतर से बेहतर और कोई भी चीज हो वह बिल्कुल पासवान ना करें और यह काफी हद तक सही भी है क्योंकि जो बच्चे हैं वह उस समय थे वहीं पर जब या अपराध हुआ या वह रोक सकते थे अपने पित तुम बच्चों को कुछ अपराध की सजा नहीं मिलनी चाहिए और रही बात जो फायदेमंद बात है कि पिता को कुछ फायदा हुआ वह बच्चों को मिलना चाहिए तो वह पिता के ऊपर होना चाहिए क्योंकि जो फायदा है अब उस फायदे में भी उनका कुछ हाथ नहीं है लेकिन अगर लॉजिकली देखे तो योग्यता है पैरों में सोते हैं अपने बच्चों के लिए ही कमा रहे हैं तो वह चीज बच्चों को देना मेरे से आपसे थोड़ा ठीक है
यह है कि क्या पिता के अपराध की सजा उसके पुत्र पुत्र को भी मिलना चाहिए बिल्कुल गलत है आप खुद सोचिए एक इंसान गले की डिजाइन के उसका पूरा फैमिली में सब सपोर्ट कर दी तो गलत हो सके तो फिर सब को सजा देने की कोई जरूरत नहीं है सिर्फ उसी को सजा सबको दुख मिलेगा बहुत दुख नहीं देना है सुखी भेजना है तेरी बाकी लोग अच्छे लगते हैं बाकी सब कुछ ना करें
Yah hai ki kya pita ke aparaadh kee saja usake putr putr ko bhee milana chaahie bilkul galat hai aap khud sochie ek insaan gale kee dijain ke usaka poora phaimilee mein sab saport kar dee to galat ho sake to phir sab ko saja dene kee koee jaroorat nahin hai sirph usee ko saja sabako dukh milega bahut dukh nahin dena hai sukhee bhejana hai teree baakee log achchhe lagate hain baakee sab kuchh na karen