सोने के कलश में विष हो सकता है, और मिट्टी के कलश में अमृत। लेकिन दूर से देखने पर इंसान स्वर्ण कलश को ही चुनेगा। क्योंकि उसे भ्रम है कि जिसमें आकर्षण नहीं उसमें गुण भी नहीं। इस भ्रम में जीने वालों पर दया आनी चाहिए, क्योंकि वो भी एक दिन स्वर्णकलश के मोह में आकर विष को ही अपना लेंगे।